बचपन से हम सुनते आ रहे हैं कि हीरा कोयले की खदान से मिलता है. लेकिन क्या हीरा सच में कोयले से बनता है. दरअसल, कोयला काला होता है और हीरे का रंग एक दम पारदर्शी सफेद. ऐसे में ये सवाल दिमाग में आना लाजमी है कि आखिर ऐसा क्या होता है कोयले के साथ कि वह हीरे में तब्दील हो जाता है. इसके अलावा एक सलाव ये भी मन में आता है कि अगर हीरा कोयले से बनता है तो क्या वो किसी भी तरह के कोयले से बन सकता है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.


कैसे बनता है हीरा


विज्ञान की भाषा में समझें तो हीरा रासायनिक रूप से कार्बन का सबसे शुद्धतम रूप है. यानी जब कार्बन अपने सबसे शुद्धतम रूप में पहुंचता है तो वो काले रंग से बदलकर पारदर्शी हीरे के रूप में बदल जाता है. इसे ऐसे समझिए कि जब कोयले का तापमान लगभग 1600 डिग्री सेल्सियस होता है तो कार्बन परमाणु 4 अन्य परमाणुओं के साथ बंध जाते हैं और इसके बाद हीरे बनते हैं. इस तरह हीरे 100 फीसदी शुद्ध कार्बन से बने होते हैं. जबकि, रासायनिक तौर पर देखें तो हीरा बहुत निष्क्रिय होता है और सभी घोलकों में अघुलनशील होता है. इसके अलावा हीरा इतना ठोस होता है कि इसे आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता है.


क्या सभी तरह के कोयले से हीरा बन सकता है


अगर आप सोचते हैं कि हीरा लकड़ी के कोयले से भी बन सकता है तो आप गलत हैं. हीरा हर तरह के कोयले स नहीं बनता. हीरा जिस कोयले से बनता है वो बेहद खास होते हैं. दरअसल, कोयले को हीरा बनने के लिए बहुत अधिक तापमान और दबाव से गुजरना होता है. ये तापमान और दबाव हर कोयला नहीं झेल सकता है. इसलिए जो खास कोयले इस तरह के तापमान और दबाव को झेल पाते हैं, उन्हीं से हीरा बनता है. हीरा जिन कोयलों से बनता है उनकी संख्या भी बहुत कम होती है, यही वजह है कि हीरे इतने ज्यादा महंगे हैं. आज के समय में एक हीरा अगर अच्छी क्वालिटी का है तो बाजार में वो आपको लाखों में मिलेगा.


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