किसी देश में किसी धर्म विशेष के लोग अगर कम मात्रा में होते हैं तो उन्हें अल्पसंख्यक घोषित कर दिया जाता है. भारत में फिलहाल 6 धर्म अल्पसंख्यक घोषित है. जिनमें सिख, इसाई, बौद्ध, पारसी, मुस्लिम और जैन धर्म शामिल है. शुरुआत में सिर्फ पांच धर्म थे. साल 2014 में जैन धर्म को भी इस श्रेणी में शामिल कर लिया गया. लेकिन भारत में अभी भी कुछ राज्य ऐसे हैं. जहां हिंदू भी अल्पसंख्यकों की श्रेणी में आते हैं. यानी कि उनकी भी वहां पर आबादी कम है. लेकिन वहां उन्हें अल्पसंख्यकों का दर्जा नहीं मिला है. जबकि कानून के हिसाब से उन्हें अल्पसंख्यक घोषित कर देना चाहिए था. क्योंकि उस राज्य में उनकी आबादी कम. चलिए जानते हैं क्या कहता है किसी को अल्पसंख्यक घोषित करने के लिए भारत में बनाया गया कानून.
भारत में अल्पसंख्यकों के लिए कानून
1978 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों के लिए आयोग बनाने की बात कही गई थी. प्रस्ताव में कहा गया था कि संविधान में दिए गए अधिकारों और कानून के बावजूद भी देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति सही नहीं है. और इसी को देखते हुए साल 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून बनाया गया और 1993 में इसकी घोषणा की गई. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 में धार्मिक और भाषाई तौर पर अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार दिए गए हैं. संविधान के अनुच्छेद 29(1) के मुताबिक किसी भी समुदाय के लोग जो भारत के किसी राज्य में रहते हैं या कोई क्षेत्र जिसकी अपनी क्षेत्रीय भाषा, लिपि या संस्कृति हो, उस क्षेत्र को संरक्षित करने का उन्हें पूरा अधिकार होगा.
हिंदू अल्पसंख्यक श्रेणी में नहीं
भारत में कुल 8 राज्य ऐसे हैं जिन राज्यों में हिंदू जनसंख्या 50 फ़ीसदी से भी कम है. यानी कि उन राज्यों में हिंदू एक तरह से अल्पसंख्यक श्रेणी में हैं. इसी के चलते साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसमें जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने की बात कही गई थी. जम्मू कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक है वहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है. याचिका में बताया गया था कि साल 2007-2008 में केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए नेशनल लेवल पर 20000 स्कॉलरशिप दी थीं. जिसके तहत जम्मू कश्मीर में 753 स्कॉलरशिप आईं थी. जिनमें से 717 स्कॉलरशिप मुसलमानों को मिली. जबकि जम्मू कश्मीर में मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं है.
इन 8 राज्यों में हिंदु अल्पसंख्यक
सुप्रीम कोर्ट में वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने एक जनहित याचिका डाली थी. उन्होंने कहा कि भारत के आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देना चाहिए. क्योंकि इन आठ राज्यों में हिंदुओं की जनसंख्या कम है. इन आठ राज्यों में जम्मू कश्मीर, पंजाब, लक्षद्वीप, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर जैसे राज्य शामिल थे. लेकिन इस पर तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने कहा कि अल्पसंख्यकों से जुड़े हुए मसाले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ही तय कर सकता है. इसीलिए याचिका करता को अल्पसंख्यक आयोग जाना चाहिए. कुलमिलकार देखा जाए तो अभी किसी स्थिति में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित नहीं किया जा सकता.
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