(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
इंसान अपने दिमाग की उम्र को कम कैसे कर सकता है? वैज्ञानिकों ने स्टडी में क्या पाया
क्या तकनीक के जरिए हमारे दिमाग के उम्र बढ़ने की क्रिया को घटाया जा बढ़ाया जा सकता है? दरअसल अब वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि उम्र बढ़ने के साथ हमारे दिमाग के साथ क्या होता है?
Can Human Reduce Age Of Their Brain: इंसानी दिमाग पर उम्र बढ़ने के साथ क्या असर होता है? क्या तकनीक के जरिए हमारे दिमाग के उम्र बढ़ने की क्रिया को घटाया जा बढ़ाया जा सकता है? दरअसल अब वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि उम्र बढ़ने के साथ हमारे दिमाग के साथ क्या होता है?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हम पहले लोमा लिंडा और वहां के लोगों की औसत उम्र के बारे में जानेंगे. दरअसल लोमा लिंडा को दुनिया के तथाकथित ब्लू जोन्स जगहों में एक माना जाता है. यहां लोगों की उम्र औसत जीवनकाल से अधिक होती है. इस मामले में शहर का सेवेंथ- डे एडवेंटिस्ट समुदाय है, जो लंबे समय तक जिंदा रहता है. अब सवाल है कि इन लोगों में खास क्या है? सेवेंथ- डे एडवेंटिस्ट समुदाय दुनिया के अन्य लोगों से क्या अलग करती है?
आपको जानकर हैरानी होगी कि लोमा लिंडा के सेवेंथ- डे एडवेंटिस्ट समुदाय के लोग आमतौर पर शराब और कैफ़ीन का सेवन नहीं करते हैं. इसके अलावा ये लोग शाकाहारी और वीगन चीजों को तवज्जों देते हैं. साथ ही अपने शरीर का ध्यान रखना एक धार्मिक कर्तव्य समझते हैं.
इस समुदाय के लोग इसे अपना "हेल्थ मैसेज" कहते हैं. बहरहाल यहां के लोग लंबा जीवन कैसे जीते हैं, यह लंबे समय से शोध का विषय बना हुआ है.
सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट समुदाय के लंबे जीवन का रहस्य
लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी के प्रोफे़सर डॉ. गैरी फ्रैजर कहते हैं कि सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट समुदाय के लोग न केवल लंबी उम्र की उम्मीद कर सकते हैं, बल्कि "स्वास्थ्य अवधि" में भी बढ़ोतरी की उम्मीद करते हैं. यहां की महिलाएं चार से पांच साल और पुरुष सात साल तक अतिरिक्त स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम हैं. हालांकि, लोमा लिंडा कोई बड़ा रहस्य नहीं है, यहां के लोग सिर्फ स्वस्थ जीवन जी रहे हैं और वे उस समुदाय को महत्व दे रहे हैं जो उन्हें स्वस्थ्य रहने का धर्म प्रदान करता है. यहां अकसर स्वस्थ जीवन, संगीत समारोह और व्यायाम को लेकर लोगों की जागरूकता पर काम किया जाता है.
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टेक्नोलॉजी की बदलती दुनिया में एआई और डेटा
दरअसल विज्ञान ने बहुत पहले ही सामाजिक मेलजोल के फायदों को पहचाना है, लेकिन अब यह पहचानना भी संभव है कि किसका दिमाग उम्मीद से अधिक तेज़ी से बूढ़ा हो रहा है, ताकि इसे ट्रैक किया जा सके और भविष्य में उसका इलाज संभव किया जा सके. इसके अलावा टेक्नोलॉजी की बदलती दुनिया में एआई और डेटा की मदद से मेडिकल के क्षेत्र में भी मदद मिलेगी.
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बूढ़े हो रहे दिमाग़ और डिमेंशिया जैसी बीमारी की प्रक्रिया...
दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय में जेरोन्टोलॉजी और कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी के एसोसिएट प्रोफे़सर आंद्रेई इरिमिया ने ऐसे कंप्यूटर मॉडल दिखाए जो हमारे दिमाग़ की उम्र का आकलन करते हैं और उनकी गिरावट की भविष्यवाणी करते हैं. प्रोफे़सर आंद्रेई इरिमिया ने इसे एमआरआई स्कैन, 15 हज़ार दिमाग़ों के डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से बनाया था. ताकि स्वस्थ रूप से बूढ़े हो रहे दिमाग़ और डिमेंशिया जैसी बीमारी की प्रक्रिया से ग्रसित दिमाग़ों को समझने में मदद मिल सके.
'हम एक इंसान के रूप में नहीं जानते हैं लेकिन एआई...'
आंद्रेई इरिमिया कहते हैं कि यह उन पैटर्न को देखने का अच्छा तरीका है जिनके बारे में हम एक इंसान के रूप में नहीं जानते हैं लेकिन एआई उन्हें पकड़ने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि कैलिफ़ोर्निया पहुंचने से पहले मैंने अपना एक एमआरआई स्कैन करवाया था. उसका विश्लेषण करने के बाद पता चला कि मेरे दिमाग़ की उम्र मेरी उम्र से आठ महीने ज़्यादा है. हालांकि, यह दो साल तक ऊपर-नीचे संभव है.
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