पाकिस्तानी सेना ने मंगलवार को अपने पड़ोसी अफगानिस्तान में हवाई हमले किया है. बता दें कि 24 दिसम्बर की रात हुए इन हमलों में महिलाओं और बच्चों समेत कम से कम 15 लोगों की मौत हुई है. अब सवाल ये है कि अगर तालिबान और पाकिस्तानी सेना आमने-सामने आती हैं, तो किसकी जीत होगी. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर हवाई हमला
बता दें कि पाकिस्तानी वायु सेना के फाइटर जेट ने बीते मंगलवार रात को पक्तिका प्रांत के बरमल जिले में लमन समेत सात गांवों को निशाना बनाया है. वहीं पाकिस्तानी अधिकारियों ने हमले में तालिबान के एक ट्रेनिंक कैंप को नष्ट करने और कई आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया गया है. वहीं खामा प्रेस की रिपोर्ट मुताबिक 24 दिसम्बर की रात हुए इन हमलों में महिलाओं और बच्चों समेत कम से कम 15 लोगों की मौत हुई है, मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है. वहीं लमन में एक ही परिवार को पांच लोग मारे गए हैं.
तालिबान और पाकिस्तान सेना में कौन मजबूत ?
बता दें कि 145 देश की रैंकिंग में पाकिस्तान 9 नंबर पर है. पाकिस्तान की सैन्य ताकत तालिबान से कहीं ज्यादा है. ग्लोबल फायरपावर की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में कुल सक्रिय सैनिकों की संख्या 6,54,000 से भी ज्यादा है. इतना ही नहीं पाकिस्तान के पास कुल 1,434 विमान हैं और 60 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट हैं, वहीं 4 एरियल रिफ्यूलर विमान भी हैं. पाकिस्तान के पास 3,742 टैंक और 50 हजार से ज्यादा आर्ल्ड व्हीकल हैं. इसके अलावा 602 रॉकेट लॉन्चर, 752 सेल्फ प्रॉपेल्ड आर्टिलरी, 2 विध्वंसक पोट, 8 पनडुब्बी और 114 नौसिक जहाज भी हैं. फाइटर जेट्स में पाकिस्तान के पास 387 लड़ाकू विमान हैं.
अमेरिका ने तालिबान में छोड़ा है हथियारों का जखीरा
पाकिस्तान के सामने तालिबान सेना की संख्या बहुत कम है. लेकिन 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबानियों के पास अमेरिका के छोड़े हुए हथियारों का जखीरा हाथ लगा है. फोर्ब्स के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान में 8,84,311 आधुनिक सैन्य उपकरण छोड़ आया है. इनमें M16 रायफल, M4 कार्बाइन, 82 mm मोर्टार लॉन्चर जैसे इंफेंट्री हथियारों के साथ सैन्य वाहन, ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर, A29 लड़ाकू विमान, नाइट विजन, कम्युनिकेशन और सर्विलांस में इस्तेमाल होने वाले उपकरण शामिल हैं. इन हथियारों की संख्या लाखों में है. आसान भाषा में कहा जाए तो आधुनिक हथियारों के मामले में तालिबान समेत कई देशों से बहुत आगे है.
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