तकनीक और फिजिक्स की मदद से आज इतने बड़े-बड़े हवाई जहाज आसमान में ऊंची उड़ान उड़ रहे हैं...लेकिन कई बार हमारे मन में ये सवाल जरूर आता है कि क्या हवा में उड़ रहा प्लेन असंतुलित नहीं हो सकता. अगर किसी कारण से प्लेन में बैठे सभी यात्री एक साथ एक तरफ आ जाएं तो क्या प्लेन तब भी आसानी से आसमान में उड़ता रहेगा. विज्ञान की मानें तो अगर प्लेन के सभी यात्री एक तरफ आ जाएं तो प्लेन बिल्कुल असंतुलित हो सकता है. इसके साथ ही यात्रियों के ऐसा करने से प्लेन दुर्घटना का भी शिकार हो सकता है.


क्या कहता है इसके पीछे का साइंस


कैलिफोर्निया एरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट की मानें तो प्लेन को इसी तरह से डिजाइन किया जाता है कि उसका हर हिस्सा एक दम बैलेंस्ड हो. यहां तक की प्लेन के बैलेंस को लेकर फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAF) पायलट के लिए एक रूल बुक 'वेट एंड बैलेंस हैंडबुक' भी निकालता है, जिसमें प्लेन के बारे में हर जानकारी लिखी होती है. दरअसल, प्लेन के उड़ने में ग्रेविटी का बहुत बड़ा योगदान है और ग्रेविटी के नियम को फॉलो करने के लिए प्लेन का हर तरह से संतुलित रहना आनिवार्य है. इसीलिए प्लेन में सीटों को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि हवा में उड़ते समय प्लेन का वेट एक दम सटीक रहे और उसे किसी भी तरह की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े.


यात्रियों को आगे से ही प्लेन में क्यों चढ़ाया जाता है?


ये एक बड़ा सवाल है कि आखिर हर प्लेन में यात्रियों को आगे की तरफ से ही प्लेन में क्यों चढ़ाया या उतारा जाता है. पीछे की ओर से ऐसा क्यों नहीं किया जाता. दरअसल, इसके पीछे भी विज्ञान है. कुछ मॉडलिंग के मुताबिक, बैक-टू-फ्रंट बोर्डिंग ज्यादा दिक्‍कत करने वाला सिस्‍टम होता है यानि इससे एक ही हिस्‍से में बैठे यात्री एक साथ बोर्डिंग करेंगे. जबकि, ओवरहेड बिन में सीमित जगह होती है और ऐसा करने से सभी लोग एक ही जगह इकट्ठे हो जाएंगे. ऐसा करने से प्लेन में धक्का-मुक्की की नौबत आ सकती है. दरअसल, आम तौर पर अगर किसी यात्री को अपने सामान के लिए अपने ओवरहेड बिन में जगह नहीं मिलती तो वह पीछे की ओर जाता है. लेकिन, अगर पीछे से बोर्डिंग होगी तो यात्री सामान रखने के लिए पीछे की ओर नहीं जा पाएंगे और उससे सभी को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा.


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