सोशल मीडिया जितने काम की चीज है, उसके उतने ही नुकसान भी हैं. कई बार देखा गया है कि सोशल मीडिया पर फैलाई गई भ्रामक जानकारियों की वजह से बड़े-बड़े दंगे फसाद हुए हैं. अब सवाल उठता है कि अगर कोई ऐसा करता है तो क्या सरकार ऐसे किसी भी सोशल मीडिया हैंडल को ब्लॉक करवा सकती है. चलिए आपको इस आर्टिकल में इससे जुड़ी जानकारी देते हैं, इसके साथ ही आपको ये भी बताते हैं कि आखिर इससे जुड़ा कानून क्या है.


क्या है इससे जुड़ा कानून


इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रवि रत्न कुमार सिन्हा इस पर कहते हैं कि केंद्र सरकार के पास इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 की धारा 69A के तहत किसी भी सोशल मीडिया कंपनी को इस तरह के कंटेंट हटाने के आदेश जारी करने का अधिकार है जिससे भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा हो सकता है.


दरअसल, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 की धारा 69A, केंद्र और राज्य सरकारों को ये अधिकार देती है कि वो इंटरनेट सेवा प्रदाताओं, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, वेब होस्टिंग सर्विसेज, सर्च इंजन, ऑनलाइन मार्केटप्लेस को आदेश जारी कर सकें कि इस तरह का कंटेंट जिसमें भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा हो सकता है, कोई सोशल मीडिया अकाउंट पोस्ट करता है तो उसे ब्लॉक करें.


अगर कोई प्लेटफॉर्म इस नियम का पालन करने में विफल रहा तो उस सोशल मीडिया Intermediaries को 7 साल की जेल और उस पर असीमित जुर्माना भी लगाया जा सकता है. हालांकि, ऐसा आदेश जारी करने से पहले सरकार को लिखित रूप से सोशल मीडिया कंपनी को ये बताना पड़ता है कि आखिर वह इस अकाउंट को क्यों ब्लॉक करवाना चाहती है.


ट्विटर के साथ विवाद भी हो चुका है


दरअसल, 2021 में किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर जो अब एक्स हो गया है, उसे कुछ ट्विटर अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश जारी किया था. हालांकि, ट्विटर ने ऐसा नहीं किया. इसके बाद ये मामला कोर्ट पहुंच गया.


अक्टूबर 2022 में इस केस पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार को किसी भी सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक करने के आदेश जारी करने का अधिकार नही है, जब तक कि वह सोशल मीडिया अकाउंट इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 की धारा 69A के ब्लॉकिंग नियम का उल्लंघन नहीं करता.


वहीं इस मामले में कोर्ट में ट्विटर की ओर से पेश हुए वकील अरविंद दातर ने न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित से कहा कि था कि जब तक कोई कंटेंट सामग्री इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 की धारा 69A के तहत ब्लॉकिंग नियम का उल्लंघन नहीं करती है, तब तक हम उस अकाउंट को ब्लॉक नहीं कर सकते.


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