पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से एक संवेदनशील और विवादास्पद विषय रहा है. पीओके पर दोनों देशों के बीच दशकों से विवाद और संघर्ष चलता आ रहा है. भारतीय संविधान के अनुसार, जम्मू और कश्मीर जिसमें POK भी शामिल है, भारत का अभिन्न हिस्सा है.


हालांकि, फिलहाल POK पर पाकिस्तान का कब्जा है. अब सवाल उठता है कि क्या POK के लोग भारत में शामिल हो सकते हैं और अगर हां, तो इसके लिए भारतीय कानून क्या कहता है?


संवैधानिक रूप से इसे समझिए


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 के अनुसार, भारत एक संघ है जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बारे में बताया गया है. जम्मू और कश्मीर भारतीय संघ का अभिन्न हिस्सा है और भारतीय संसद ने इस पर कई बार अपनी स्पष्ट स्थिति भी व्यक्त की है.


अब इसे ऐसे समझिए कि भारत सरकार और भारतीय संविधान की दृष्टि में पूरा जम्मू और कश्मीर, जिसमें POK भी शामिल है, भारत का हिस्सा है. इसलिए जब भी कभी पीओके पर भारत का नियंत्रण होगा, पीओके के लोग अपने आप भारतीय नागरिक हो जाएंगे.


दरअसल, भारतीय संसद ने 1994 में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान के कब्जे में कश्मीर का जो हिस्सा (POK) है वो भारत का हिस्सा है और इसे वापस हासिल करने का प्रयास किया जाना चाहिए.


भारतीय नागरिकता कानून के हिसाब से समझिए


भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, आप जन्म से, वंशानुगत आधार पर और रजिस्ट्रेशन के माध्यम से भारत की नागरिकता प्राप्त की जा सकती है. भारतीय संविधान के मुताबिक, पीओके के लोग पहले से ही भारत के नागरिक माने जाते हैं, क्योंकि भारतीय संविधान जम्मू और कश्मीर जिसमें पीओके भी शामिल है को राज्य के सभी निवासियों को भारतीय नागरिक मानता है.


मौजूदा सरकार भी यही मानती है


अगस्त 2019 में मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के फैसले ने भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया. उस समय सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि POK भी उसी प्रक्रिया का हिस्सा है और इसे वापस लाने के लिए हर संभव कूटनीतिक और कानूनी प्रयास किए जाएंगे.


ये भी पढ़ें: फर्जी एनकाउंटर के मामले में इस राज्य की पुलिस सबसे ज्यादा बदनाम, कैसे लगा यह ठप्पा?