क्या अपने घर में चला सकते हैं पीजी? जानिए क्या कहता है कानून
रजिस्ट्रेशन कराने के अलावा पीजी को स्वच्छता और स्वास्थ्य मानकों का पालन करना होता है. यानी पीजी संचालक को नियमित सफाई और रखरखाव सुनिश्चित करना जरूरी है.
बड़े शहरों में जब आप नौकरी करने जाते हैं या पढ़ने जाते हैं तो वहां रहने के आपको कई ऑप्शन मिलते हैं. इन्हीं में से एक सस्ता और अच्छा ऑप्शन होता है पीजी में रहना. नोएडा जैसे शहर में आपको हर सेक्टर में कई पीजी मिल जाएंगे, जहां आप से रहने के लिए बेड के हिसाब से पैसे लिए जाते हैं.
लेकिन पीजी में रहने से पहले क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि जिस पीजी में आप रहने जा रहे हैं वह कानूनी रूप से वैध है या नहीं. दरअसल, भारत में पीजी का संचालन करने के लिए कई तरह के नियम और कानून लागू होते हैं, जो राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और संबंधित विभागों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं. चलिए जानते हैं क्या हैं ये नियम-कानून.
पीजी चलाने के नियम
कोई भी पीजी चलाने से पहले संचालकों को स्थानीय निकाय से रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है. पीजी का रजिस्ट्रेशन करने से पहले स्थानीय निकाय यह सुनिश्चित करता है कि आवासीय सुविधाएं मानक के अनुसार हैं या नहीं. वहीं कुछ राज्यों में, पीजी चलाने के लिए विशेष तरह के लाइसेंस की जरूरत होती है, जो कुछ शर्तों के आधार पर जारी किया जाता है.
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स्वच्छता और सुरक्षा के मानक
रजिस्ट्रेशन कराने के अलावा पीजी को स्वच्छता और स्वास्थ्य मानकों का पालन करना होता है. यानी पीजी संचालक को नियमित सफाई और रखरखाव सुनिश्चित करना जरूरी है. इसके अलावा पीजी में सुरक्षा उपाय जैसे- सीसीटीवी कैमरे, अग्नि सुरक्षा उपकरण और इमरजेंसी निकास का होना भी जरूरी होता है. अगर इनमें से किसी भी चीज में लापरवाही पाई गई तो पीजी का रजिस्ट्रेशन कैंसल हो सकता है और पीजी मालिक के खिलाफ लोगों की जान को खतरे में डालने का मामला भी दर्ज हो सकता है.
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किराये को लेकर नियम
नीयम के मुताबिक, पीजी चलाने वालों को किराया तय करते समय बाजार दरों और सुविधाओं को ध्यान में रख कर ही पीजी का किराया निर्धारित करना चाहिए. अगर कोई पीजी मालिक बाजार दरों से अधिक किराया लेता है तो यह कानूनी रूप से विवादास्पद हो सकता है. वहीं किराया लेते समय लेनदेन का रिकॉर्ड रखना भी जरूरी है.
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