क्या KFC जैसा चिकन और Dominos जैसा पिज्जा बेच सकते हैं आप? ये रहा जवाब
दुनियाभर में फास्ट फूड की डिमांड तेजी से बढ़ी है. फास्ट फूड की कंपनियों में कुछ ब्रांड्स ऐसे हैं, जो दुनियाभर के अधिकांश देशों में मौजूद है. लेकिन क्या आप इन ब्रांड के फूड बनाकर बेच सकते हैं?
दुनियाभर में फास्ट फूड की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. इन फास्ट फूड में कुछ ब्रांड्स ऐसे हैं, जिनके फूड्स लोग सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. इनमें नॉन वेज के लिए केएफसी और पिज्जा के लिए डोमिनोज जैसे ब्रांड्स सबसे आगे हैं. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि कोई व्यक्ति अगर KFC जैसा चिकन और Dominos जैसा पिज्जा बेचता है, तो उसके लिए क्या नियम हैं. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
फास्ट फूड की बढ़ी डिमांड
दुनियाभर के सभी देशों का खान-पान अलग होता है. लेकिन खान-पान की संस्कृति में बीते 3 दशक में फास्ट फूड ने अलग ही लोकप्रियता कमाई है. फास्ट फूड्स के प्रेमी कुछ खास टेस्ट के लिए हजारों किलोमीटर तक का सफर करते हैं. लेकिन अगर कोई इंसान KFC जैसा चिकन और Dominos जैसा पिज्जा बेचना चाहता है, तो क्या वो बेच सकता है. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
ब्रांड की लोकप्रियता और विश्वसनीयता
किसी भी ब्रांड की लोकप्रियता और विश्वसनीयता बनाने में इंसान को सालों लग जाता है. लेकिन जब कोई ब्रांड अपनी जगह बना लेता है, तो फिर उसके बाजार का दायरा और ग्राहक का ग्राफ दोनों तेजी से बढ़ता हैं. यही कारण है कि जब आप किसी ब्रांड की फ्रेंचआइजी लेते हैं, तो आपको बड़ी रकम देनी होती है. कई बार रेस्टोरेंट लगभग एक जैसा ही फूड बनाते हैं, लेकिन आपने देखा होगा कि वो उस फूड का नाम और अपने ब्रांड का नाम अलग रखते हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या आप किसी भी ब्रांड के फूड जैसा अपना फूड बनाकर बेच सकते हैं? जानिए इसको लेकर क्या है नियम.
कैसे बना सकते हैं KFC जैसा चिकन और Dominos जैसा पिज्जा?
अब सवाल ये है कि क्या आप KFC जैसा चिकन और Dominos जैसा पिज्जा बना सकते हैं. बता दें कि कोई भी व्यक्ति कोई भी फूड बना सकता है, लेकिन वो किसी भी कंपनी का नाम उसके रिजस्टर्ड आइटम का नाम इस्तेमाल नहीं कर सकता है. जैसे आप पिज्जा बना सकते हैं, लेकिन आप उसे बिना कंपनी की इजाजत के डोमिनोज पिज्जा के नाम से नहीं बेच सकते हैं. ऐसे ही आप चिकन बना सकते हैं, लेकिन बिना कंपनी की इजाजत के आप उसे उस कंपनी का लोगो और नाम का टैग लगाकर नहीं बेच सकते हैं. क्योंकि सभी बड़ी कंपनियां अपना नाम ट्रेडमार्क के रजिस्टर करती हैं. भारत में ट्रेडमार्क उल्लंघन 1999 के तहत कारावास और जुर्माने का प्रावधान है.
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