क्या कोर्ट में पहन सकते हैं नकाब, जानें इसको लेकर क्या है नियम?
भारत में वकालत करने के लिए एक निर्धारित ड्रेस कोड बना हुआ है. लेकिन क्या कोई मुस्लिम महिला हिजाब पहनकर और चेहरा ढककर वकालत कर सकती है? जानिए इसको लेकर क्या नियम है.
भारत समेत लगभग सभी देशों में कई पेशों के लिए ड्रेस कोड तय है. जैसे वकीलों के लिए काला कोट, डॉक्टर के लिए सफेद कोट, पुलिस की खाकी वर्दी समेत अन्य डेसकोड बने हुए हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या कोई महिला अपने धर्म का हवाला देते हुए कोर्ट में नकाब पहनकर वकालत कर सकती है? आज हम आपको इससे जुड़ी जानकारी देंगे.
वकालत का ड्रेस कोड
भारत समेत कई देशों में वकील काला कोट ही पहनते हैं. लेकिन अभी हाल ही में जम्मू-कश्मीर में एक मामला सामने आया था, जहां एक महिला वकील घरेलू हिंसा के मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुई थी. इस दौरान महिला ने वकील की ड्रेस पहनी हुई थी, लेकिन उसने चेहरा ढका हुआ था. वहीं न्यायिक कार्रवाई के दौरान न्यायमूर्ति राहुल भारती ने जब महिला वकील से पहचान सुनिश्चित करने के लिए नकाब हटाने को कहा था, तो उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया था.
ड्रेस कोड को लेकर क्या है नियम?
- बता दें कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स के अध्याय IV (भाग VI) में अधिवक्ताओं के लिए निर्धारित ड्रेस कोड बताया गया है. इसमें पुरुष और महिला अधिवक्ताओं के लिए ड्रेस कोड में शामिल हैं.
- इसके मुताबिक महिलाओं के लिए सफेद कॉलर, सफेद बैंड और अधिवक्ता का गाउन के साथ काली पूरी आस्तीन वाली जैकेट या ब्लाउज, वैकल्पिक रूप से, कॉलर के साथ या बिना सफेद ब्लाउज को सफेद बैंड और काले खुले ब्रेस्टेड कोट के साथ पहना जा सकता है.
- इसके अलावा निचले परिधानों में साड़ी, लंबी स्कर्ट (सफेद, काला या बिना प्रिंट या हल्के रंग) शामिल हैं. डिज़ाइन, फ्लेयर्स, या पंजाबी पोशाक, चूड़ीदार-कुर्ता, या सलवार-कुर्ता, सफेद या काले रंग में दुपट्टे के साथ या उसके बिना स्वीकार है. पारंपरिक पोशाक भी पहनी जा सकती है, बशर्ते उसके साथ काला कोट और बैंड होना चाहिए.
- सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में पेश होने के अलावा वकील का गाउन पहनना वैकल्पिक है. वहीं गर्मियों के दौरान, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के अलावा अन्य अदालतों में काला कोट पहनना अनिवार्य नहीं है. ड्रेसकोड में कहीं पर भी मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब का जिक्र नहीं किया गया है.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में नहीं ढंक सकते चेहरा
बता दें कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट करते हुए बताया है कि महिला वकील अदालत में चेहरा ढककर पेश नहीं हो सकती हैं. वहीं कोर्ट ने कहा कि महिला वकीलों के ड्रेस कोड को लेकर यह निर्णय बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के निर्धारित ड्रेस कोड के अनुसार लिया गया है.
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