19 जुलाई 2023 को सियाचिन में सेना के एक बंकर में आग लग गई थी. उस आग में कुछ सैनिक फंस गए. अपने साथियों को इस तरह से फंसा देख, कैप्टन अंशुमान दहकते बंकर में घुस गए और अपने तीन साथियों को सुरक्षित बाहर निकाल लाए. लेकिन इस कोशिश में वह खुद झुलस गए और इलाज के दौरान वो शहीद हो गए.


उनकी इस वीरता को देखते हुए भारत सरकार ने कुछ दिनों पहले उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया. लेकिन अब मेडल और दस्तावेजों को लेकर अंशुमान सिंह के माता पिता और उनकी पत्नी के बीच एक विवाद हो गया है. ख़ैर, चलिए आज इसी कड़ी में हम आपको बताते हैं कि जब एक जवान शहीद हो जाता है तो मुआवजे का असली हकदार कौन होता है.


NOK से तय होता है


NOK यानी नेक्स्ट ऑफ किन. सरल भाषा में इसे आप सबसे निकटतम परिजन समझ सकते हैं. इस शब्द का इस्तेमाल हम किसी व्यक्ति के सबसे करीबी रिश्तेदार या फिर कानूनी प्रतिनिधि के लिए करते हैं. इसे लेकर सेना में भी एक नियम है. जब कोई व्यक्ति भारतीय सेना में शामिल होता है तो उसे अपने किसी रिश्तेदार या निकटतम व्यक्ति को NOK में दर्ज करना होता है.


ज्यादातर मामलों में एनओके में माता या पिता या फिर दोनों होते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि सेना में भर्ती होते वक्त ज्यादातर जवानों का विवाह नहीं हुआ होता. बाद में जब जवान का विवाह होता है तो वह एनओके में अपनी पत्नी का नाम भी डाल देता है.


पार्ट-2 नाम का खास दस्तावेज


चलिए अब समझाते हैं कि आखिर एनओके काम कैसे करता है. दरअसल, जब सेना में सेवारत किसी व्यक्ति को कुछ हो जाता है तो अनुग्रह राशि उसे ही दी जाती है जिसका नाम एनओके में रहता है. सेना में भर्ती के दौरान पार्ट-2 नाम का एक दस्तावेज भरवाया जाता है. इसी दस्तावेज में तय होता है कि जवान एनओके में किसे रखता है और कितने प्रतिशत पर रखता है.


आमतौर पर विवाहित जवान 70:30 का फॉर्मूला रखते हैं. यानी 70 फीसदी हिस्सा पत्नी के नाम और 30 फीसदी माता पिता के नाम. वहीं कुछ फौजी 50:50 का फॉर्मूला रखते हैं. यानी 50 फीसदी माता पिता के नाम और 50 फीसदी पत्नी के नाम. जवान जो फॉर्मूला तय करता है, उसके एनओके को उसी हिसाब से अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है. यानी अनुग्रह राशि किसे कितनी मिलेगी यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि जवान ने पार्ट-2 नाम के दस्तावेज में एनओके में किसे कितनी हिस्सेदारी दी है.


राज्यों के अलग फॉर्मूले


हालांकि, ये फॉर्मूला सिर्फ उस अनुग्रह राशि पर लागू होता है जो सेना और केंद्र सरकार की ओर से मिलता है. अगर राज्य सरकार किसी शहीद को कोई अनुग्रह राशि देती है तो उस पर वहां के नियम लागू होते हैं. जैसे- मध्य प्रदेश में अनुग्रह राशि माता पिता और पत्नी को बराबर मिलता है. जबकि, उत्तर प्रदेश में शहीद की पत्नी को 35 लाख और शहीद के मां बाप को 15 लाख मिलते हैं. वहीं हरियाणा में अनुग्रह राशि के लिए 70:30 का फॉर्मूला लागू होता है. यानी 70 फीसदी पैसा पत्नी को और 30 फीसदी माता-पिता को मिलता है.


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