कार और बाइक भले ही आप कितने दिन से भी ड्राइव कर रहे हों, लेकिन उसके बारे में कुछ ना कुछ नया पता चलता ही रहता है. कार से जुड़े कई ऐसे फैक्ट्स हैं, जिनके बारे में बहुत से लोगों को पता नहीं है. ऐसे ही कार में जो स्टेपनी दी जाती है, उसकी भी अलग कहानी है. कहा जाता है कि वो कार के चारों टायरों से अलग होती है और अलग में उसकी साइज, वजन जैसी चीजें सामान्य टायरों से अलग होती है. 


ऐसे में सवाल है कि आखिर इस बात में कितनी सच्चाई है कि गाड़ी की स्टेपनी की साइज अलग होती है और साथ ही सवाल ये भी है कि आखिर ऐसा है तो कंपनी की ओर से ऐसा क्यों किया जाता है. ऐसे में जानते हैं इन सवालों के जवाब और पता करने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है. 


क्या सही में स्टेपनी दूसरे टायरों से अलग है?


जी हां, अधिकतर कंपनियां स्टेपनी का साइज अन्य टायरों के मुकाबले अलग बनाती है.  इन टायरों को इमरजेंसाी में इस्तेमाल करने के उद्देश्य से बनाया जाता है और इनका साइज अन्य टायरों के मुकाबले छोटा होता है और इसका वजन भी दूसरे टायरों से अलग होता है. कुछ कंपनियां इसे एक जैसा भी बनाती हैं, मगर अक्सर ये साइज में अलग होता है. जैसे जिन कारों में एलॉय व्हील होते हैं, उनकी स्टेपनी साधारण होती है और यह चारों टायरों से अलग होती है. 


हालांकि, ये बिल्कुल नहीं होता है, जिससे कार की बैलेंसिंग पर असर हो. जैसे कुछ कार में आगे और पीछे के चारों टायरों की साइज R15 होती है, लेकिन जो स्टेपनी वाला टायर होता है, उसकी साइज R14 होती है. यह एक्स्ट्रा टायर सिर्फ इमरजेंसी के लिए ही डिजाइन किया जाता है. 


क्यों अलग होती है स्टेपनी?


ये टायर साइज में छोटे और हल्के होते हैं. इसे लेकर कोई खास कारण तो पता नहीं चलता है, लेकिन कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि डिग्गी में कम जगह घेरने की वजह से इसकी डिजाइन में बदलाव किया गया है. वहीं, हल्के होने के पीछे डिग्गी में वजन कम करने का तर्क दिया जाता है और इस वजह से इस टायर की रिम का वजन कम होता है.


इस वजह से स्टेपनी के जरिए ज्यादा दूरी तय ना करने और इसे ज्यादा समय तक इस्तेमाल ना करने की सलाह दी जाती है. साथ ही स्टेपनी के साथ स्पीड आदि भी कम रखने के लिए कहा जाता है. वहीं, स्टेपनी को हल्की बनाने के पीछे ये भी तर्क दिया जाता है कि कम वजन से इसे चेंज करने में आसानी होती है. 


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