क्या दुकान से सामान खरीदते समय कैरी बैग के लिए अलग से पैसे देने चाहिए? ये है नियम
कैरी बैग के लिए पैसे वसूलने को लेकर बहुत से दुकान वालों का तर्क होता है कि कपड़े के बैग प्लास्टिक बैग की तुलना में महंगे होते हैं, इसलिए इसे मुफ्त में नहीं दे सकते. आइए इसे जुड़े नियम जानें...
Charge For Carry Bag: जब भी आप बाजार में शॉपिंग करने जाते हैं तो सामान को लाने के लिए कैरी बैग की जरूरत भी होती है. जो हम दुकानदार से ही लेते हैं, लेकिन कई दुकानदार या शॉपिंग स्टोर्स इसके लिए अलग से चार्ज करते हैं. ऐसा ही कुछ हुआ था रेवाड़ी शहर के मोहल्ला शक्ति नगर के रहने वाले पवन कुमार के साथ, पवन ने रेवाड़ी के ब्रास मार्केट स्थित विशाल मेगा मार्ट से 14 मई 2019 को 812 रुपये का सामान खरीदा. सामान को ले जाने के लिए जब पवन कुमार ने स्टोर के कर्मचारियों से थैला देने को कहा, तो स्टोर कर्मचारियों ने पवन को कैरी बैग थमा दिया और इसकी 14 रुपये की कीमत सामान के साथ बिल में जोड़ दी. जिसकी शिकायत उसने जिला उपभोक्ता आयोग में कर दी. जिसके बाद आयोग ने मेगा मार्ट पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया और 11 हजार रुपये वार्ड खर्च देने के आदेश जारी किए हैं.
दुकानदार और ग्राहक का तर्क
कैरी बैग के लिए पैसे वसूलने को लेकर बहुत से दुकान वालों (Retailers) का तर्क होता है कि कपड़े के बैग प्लास्टिक बैग की तुलना में महंगे होते हैं, इसलिए इसे मुफ्त में नहीं दे सकते. वहीं ग्राहकों (Customer) का कहना है कि दुकान को सामान बेचने के साथ-साथ उसे ले जाने के लिए थैला भी देना चाहिए. वहीं, कुछ लोगों का तर्क है कि जब बैग पर कंपनी अपना विज्ञापन कर रही है तो फिर उसके लिए ग्राहक से पैसे क्यों लेती है? ऐसे में आइए जानते हैं कि कैरी बैग को लेकर क्या नियम हैं.
क्या है नियम
दरअसल, कैरी बैग के लिए पैसे लेने की शुरुआत, साल 2011 में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग रूल्स के आने के बाद हुई थी. इस रूल को लाने के पीछे सरकार का मकसद था ताकि ग्राहक प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करें और अपने घर से कैरी बैग लाएं. जो लोग तब भी प्लास्टिक का बैग लेते हैं, उनसे पैसे लिए जाएंगे और ये पैसे प्लास्टिक मैनेजमेंट के काम आयेंगे. इस नियम में कैरी बैग को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि कैरी बैग प्लास्टिक का होना चाहिए. लेकिन रिटेलर्स ने इस नियम का दुरुपयोग किया और उन्होंने कागज और कपड़े के बैग भी मुफ्त में देना बंद कर दिए और ग्राहकों से हर तरह के कैरी बैग के पैसे लेने शुरू कर दिए.
नियम में हुए थे ये बदलाव
आगे चलकर 2016 में इस नियम में हुए बदलाव के तहत तय हुआ कि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए रिटेलर से पैसे रजिस्ट्रेशन के समय ही ले लिए जाएंगे. बाद में मार्च 2018 में 2016 वाले नियम को भी बदल दिया गया और कैरी बैग के लिए ग्राहकों से पैसे लेने वाला नियम खत्म कर दिया गया. यानी रिटेलर को कागज या कपड़े के कैरी बैग के लिए पैसे लेने की अनुमति तो पहले से ही नहीं थी, लेकिन अब वो प्लास्टिक के कैरी बैग के लिए भी पैसे नहीं ले सकते थे. हालांकि, अब तो कोई रिटेलर प्लास्टिक का बैग मुफ्त में भी नहीं दे सकता, वरना उसपर जुर्माना लगना तय है.
कैरी बैग को बना लिया है कमाई का जरिया
एक बैग, जिसकी कीमत 3 रुपये भी नहीं होती, दुकानदार उसके लिए 5 से लेकर 15 रुपये तक वसूलता है. अगर एक दुकान पूरे दिन में ऐसे 100 बैग बेच देती है तो इससे उसे 800-1000 रुपये का सीधा मुनाफा होता है. इस तरह रिटेलर्स ने इसे ही अपना रेवेन्यू मॉडल बना लिया था. भले ही रिटेलर्स ने कैरी बैग बेचने को अपने बिजनेस मॉडल और प्रचार का हिस्सा बना लिया है, लेकिन ये गैर कानूनी है.
कैरी बैग के लिए नहीं लिया जा सकता चार्ज
कानून के तहत अगर दुकानदार कैरीब बैग के लिए अतिरिक्त चार्ज वसूलता है और उपभोक्ता इसकी शिकायत दर्ज कराता है तो कार्रवाई की जाएगी. कानून के तहत कैरी बैग के लिए अतिरिक्त पैसा वसूलना दंडनीय है. कानून के तहत अगर कोई भी ग्राहक सामान खरीदने के बाद उसे लेकर जाने के लिए कैरी बैग की मांग करता है तो इसके लिए उसे अलग से पैसे नहीं देने पड़ेंगे. इसके अलावा अगर कोई ग्राहक हाथ में सामान ले जाने में सक्षम नहीं है तो दुकानदार को कैरी बैग देना ही पड़ेगा.
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