शेर,बाघ,तेंदुए पहचानते हैं इंसानों की आवाज, रिसर्च में आया सामने
शेर,बाघ,तेंदुए को सबसे खतरनाक और हमलावर जानवर माना जाता है.लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जानवर इंसानों के आवाज को पहचानते हैं.रिसर्च में ये सामने आया है कि बिल्ली प्रजाति के जानवर आवाज को पहचानते हैं.
शेर को जंगल का राजा कहा जाता है. जब भी सबसे खतरनाक जानवरों की बात होती है, तो अक्सर लोग सबसे पहले शेर, चीता जैसे जानवरों का नाम लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिल्ली प्रजाति में आने वाले ये शेर, बाघ, तेंदुए इंसानों की आवाज को पहचान सकते हैं. आप सोच रहे होंगे कि आखिर इतने खतरनाक जानवर इंसानों की आवाज को कैसे पहचान सकते हैं? लेकिन रिसर्च में सामने आया है कि बिल्ली प्रजाति के जानवर अलग-अलग इंसानों की आवाज पहचान सकते हैं.
बिल्ली प्रजाति के जानवर
जानवरों में पालतू जानवर को लेकर कहा जाता है कि वो अपने मालिकों और दूसरे इंसानों, जानवरों की आवाज के अंतर को समझते हैं. लेकिन एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि बाघ समेत चीता और कूगर जैसी बड़ी बिल्लियां भी परिचित और अपरिचित इंसानों की आवाजों के बीच के अंतर को समझ सकते हैं. कई आप ऐसे जानवर अपरिचित आवाजों पर तेज प्रकिया देते हैं.
दरअसल पीरजे लाइफ एंड एनवायरनमेंट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक जो जानवर आमतौर पर समूह में रहने से बचते हैं, उनमें भी सामाजिक कौशल होता है. इस रिसर्च में चिड़ियाघरों और प्रकृति संरक्षित क्षेत्रों में रहने वाली विदेशी बिल्ली की विभिन्न प्रजातियों को शामिल किया गया था. जिसमें 5 प्रजातियों की 7 बिल्लियों के साथ प्रारंभिक अध्ययन करने के बाद शेर, बाघ, क्लाउडेड तेंदुए, हिम तेंदुए और सर्वल समेत 10 प्रजातियों की 24 बिल्लियों को लेकर रिसर्च किया गया था.
इस दौरान शोधकर्ताओं ने प्रत्येक बिल्ली को 3 अपरिचित मानव आवाजों की ऑडियो रिकॉर्डिंग के बाद एक परिचित आवाज और एक अन्य अपरिचित आवाज सुनाया था. रिसर्च में पाया गया कि पालन-पोषण से परे बड़ी बिल्लियों ने 4 अपरिचित आवाजों की तुलना में एक परिचित आवाज पर अधिक तेजी से और लंबी अवधि तक प्रतिक्रिया दिया था. इस अध्ययन के सह-लेखक जेनिफर वोंक ने कहा कि नतीजे बिल्कुल स्पष्ट थे.
अमेरिका के मिशिगन राज्य के ऑकलैंड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जेनिफर वोंक ने बताया कि अपनी संतानों को पहचानने और रहने की जगह की निगरानी करने के लिए जंगली जानवरों में सामजिक क्षमता आवश्यक होती है. रिसर्च में पाया गया कि व्यक्तिगत मानवीय आवाजों को पहचानने की क्षमता केवल पालतू जानवरों में नहीं होती, बल्कि मनुष्यों के नियमित संपर्क के कारण भी विकसित हो सकती है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि ये एक छोटा नूमना रिसर्च था. बड़े स्तर पर रिसर्च करने पर रिजल्ट कुछ अलग हो सकता है.
ये भी पढ़ें: ये है दुनिया का सबसे महंगा अनानास, जानें आखिर क्या है इसकी खासियत