Cellular Jail: कालापानी जेल इतिहास की बहुचर्चित जेल थी. काला पानी की सजा बीते जमाने की एक ऐसी सजा हुआ करती थी, जिसके नाम से ही कैदी कांपने लगते थे. इसे सेल्यूलर जेल के नाम से जाना जाता था. आज भी इसे इसी नाम से जाना जाता है. इस जेल को अंग्रेजों ने बनवाया था, जोकि अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में है. इस जेल को अंग्रेजों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनवाया था. कालापानी का भाव सांस्कृतिक शब्द 'काल' से बना माना जाता है, जिसका अर्थ समय या मृत्यु होता है. यानी काला पानी शब्द का अर्थ मृत्यु के उस स्थान से है, जहां से कोई भी वापस नहीं आता है.
 
अंग्रजों ने इस जेल को सेल्यूलर नाम दिया था. अंग्रेजों के भारतीय स्वतंत्रता सेनानियो पर किए गए अत्याचारों की इस मूक गवाह जेल की नींव 1897 ईस्वी में रखी गई थी. लगभग 9 साल बाद सन 1906 में यह बनकर तैयार हो गई थी. इस जेल में 15×8 फीट की कुल 698 कोठरियां थीं. सभी कोठरियों में तीन मीटर की ऊंचाई पर रोशनदान बनाए गए थे ताकि कैदी एक-दूसरे से बात न कर सकें.


जेल से भाग पाना था नामुंकिन


सेल्यूलर जेल चारों तरफ से गहरे समुद्र से घिरी हुई है. इसके चारों ओर कई किलोमीटर तक सिर्फ समुद्र का पानी ही दिखता है. इसकी सबसे बड़ी खूबी ये थी कि इसकी दीवारों को काफी छोटा बनाया गया था, इतना छोटा कि कोई भी उसे आसानी से पार कर सकता था. इसके बावजूद भी किसी के लिए जेल से बाहर निकलकर भाग जाना लगभग नामुमकिन था. क्योंकि कोई ऐसा करने की कोशिश भी करता तो उसे चारों ओर पानी अलावा और कुछ नहीं दिखेगा और अगर कैदी ने भागने की कोशिश भी की तो समुद्र के पानी में ही डूबकर उसकी मौत हो जायेगी.


भारतीय इतिहास का काला अध्याय है यह जेल


जेल का नाम सेल्यूलर पड़ने के पीछे यह वजह थी कि यहां हर कैदी के लिए एक अलग सेल होती थी और सभी कैदियों को अलग-अलग ही रखा जाता था, जिससे कि वो एक दूसरे से बात न कर सकें. ऐसे में कैदी बिल्कुल अकेले पड़ जाते थे और वो अकेलापन उनके लिए मौत से भी भयानक होता था. कहा जाता है कि इस जेल में न जाने कितने ही भारतीयों को फांसी की सजा दी गई और कई दूसरी वजहों से मर गए थे, लेकिन इसका रिकॉर्ड कहीं भी नहीं है. इसी वजह से इस जेल को भारतीय इतिहास का काला अध्याय भी कहा जाता है.


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