जब भी मिठाई की दुकान पर जाते हैं तो अधिकतर मिठाइयों पर सिल्वर कलर का पेपर लगा होता है, जिसे चांदी का वर्क कहा जाता है. कई मिठाइयों पर तो सोने का वर्क भी चढ़ाया जाता है. इन चांदी के वर्क को लेकर कई तरह की रिपोर्ट सामने आती हैं. एक तो इन्हें स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है और इससे बनाने को लेकर कई तरह की कहानियां है. कहा जाता है कि ये चांदी से नहीं बनता है और इसमें प्लास्टिक की मिलावट होती है. इसके अलावा कहा जाता है कि इसे बनाने के लिए जानवरों की हड्डी और चमड़ी से बने चमड़े का इस्तेमाल किया जाता है.
ऐसे में सवाल है कि जिसे आप बचपन में चांदी के वर्क से जान रहे हैं, उस वर्क में क्या सही में चांदी या सोना मिला होता है या फिर इसके नाम में ही चांदी या सोना होता है. तो जानते हैं इस सवाल का जवाब और साथ ही आपको बताते हैं कि आखिर मिठाई और मूर्तियों पर लगाए जाने वाला ये चांदी का वर्क किस तरह से बनाया जाता है.
क्या सही में इनमें चांदी या सोना होता है?
बता दें कि चांदी के वर्क को अंग्रेजी में सिल्वर लीफ कहा जाता है. यह चांदी की एकदम पतली परत होती है और कितबा के कागज से भी काफी पतली परत होती है. जहां चांदी और सोना होने की बात है, ये चांदी और सोने से ही बनाए जाते हैं. लेकिन, यह बात अलग है कि अब इसे अलग तरीके से बनाया जा रहा हो. पहले इसे चांदी के टुकड़े को पीट-पीटकर ही बनाया जाता था. अब कई कैमिकल, प्लास्टिक, कागज और मशीनों के जरिए इसे बनाया जाता है. जो सोने के वर्क होते हैं, उनमें भी शुद्ध सोना होता है.
कैसे बनाया जाता है?
इसे बनाने का देसी तरीका तो ये है कि इसमें किसी चांदी के टुकड़े को काफी पीटा जाता है और पीट-पीट कर पतला किया जाता है. काफी ज्यादा पीटने की वजह से वो कागज की तरह या उससे भी पतला हो जाता है. लेकिन, अब मशीनों के जरिए इसे बनाने का तरीका अलग हो गया है. अब मशीनों के जरिए हई चांदी के वर्क निर्माण किया जाता है और इसमें काफी मिलावट होने की भी दावे किए जाते हैं.
क्या सही में चमड़े में पीट-पीटकर बनाया जाता है?
सोशल मीडिया पर कुछ तथ्य तैयार किए जाते हैं कि चांदी का वर्क बनाने के लिए गाय को मारा जाता है और उसके पेट से आंत निकालकर उसके अंदर चमकीली चांदी जैसी धातु का टुकड़ा परत-दर-परत आंत में लपेट कर रखा जाता है कि उसका खोल बन जाए. उसके बाद लकड़ी के हथौड़े से जोर-जोर से पीटा जाता है, जिससे आंत फैल जाती है और और आंत के साथ धातु का टुकड़ा वर्क के रूप में पतला होता चला जाता है. लेकिन, ऐसा नहीं है.
वर्क बनाने के लिए चांदी को पीटने की जरुरत होती है तो पहले चमड़े का एक बैग बनाकर उसे पीटा जाता था, लेकिन अब काफी काम मशीनों से होता है. अब वर्क बनाने के लिए पशुओं के किसी भी अंग को इस्तेमाल करने पर प्रतिबंधित लगा दिया गया. लेकिन, चमड़े का इस्तेमाल पहले किया जाता था, क्योंकि चमड़ा लंबे वक्त तक फटता या खराब नहीं होता था.
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