चांद और उस पर लैंडिंग की कई कहानियां इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. इसी में से एक था अपोलो मिशन 15. 1971 में लॉन्च हुआ ये मिशन पूरी दुनिया के लिए किसी अजूबे से कम नहीं था. सबसे बड़ी बात कि इस मिशन का हिस्सा रहे डेविड रैंडोल्फ स्कॉट दुनिया के पहले इंसान थे जिन्होंने चांद की सतह पर एक कारनुमा रोवर चलाया था. चलिए आपको बताते हैं उन तीन एस्ट्रोनॉट्स के बारे में जिन्होंने चांद पर तीन दिन बिताए थे.
कौन थे वो तीन एस्ट्रोनॉट्स?
हम जिन तीन एस्ट्रोनॉट्स की बात कर रहे हैं, उनमें पहला नाम था डेविड स्कॉट का, दूसरा नाम था अल्फ्रेड वॉर्डन का और तीसरा नाम था जेम्स इरविन का. इनमें से एक नाम ऐसा था जो पूरी दुनिया में एक अलग कारनामें के लिए लोकप्रिय हुआ. वो कारनामा था चांद की सतह पर एक कार चलाने का. ये दिखने में तो पृथ्वी पर चलने वाली किसी कार की ही तरह थी, लेकिन असलियत में ये एक मून रोवर थी. इसे 31 जुलाई 1971 को स्कॉट ने चांद की सतह पर चलाया था.
तीन दिन तक चांद पर क्या कर रहे थे एस्ट्रोनॉट्स
अपोलो 15 की लैंडिंग के बाद तीन दिनों तक चांद की सतह पर डेविड स्कॉट, अल्फ्रेड वॉर्डन और जेम्स इरविन ने कई तरह की रिसर्च की. उन्होंने एक रोवर पर सवार हो कर चांद के सतह पर काफी दूर तक शोध किए. वहां से पत्थर, रेत और हर वो चीज इकट्ठा की जिसकी मदद से चांद को समझने में आसानी हो. यहीं पर उन्हें एक पत्थर मिला जिसकी उम्र उस वक्त के हिसाब से 4 बिलियन साल से ज्यादा थी. इसे उन्होंने नाम दिया जेनेसिस रॉक. स्कॉट और इरविन ने लगभग 18 घंटे चांद की सतह पर बिताए. इसके साथ ही एस्ट्रोनॉट डेविड स्कॉट ने चांद पर एक एल्युमिनियम का छोटा सा एस्ट्रोनॉट का पुतला बनाया जो उन 14 एस्ट्रोनॉट्स को श्रद्धांजलि थी जिन्होंने मून मिशन में अपनी जान गंवा दी थी.
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