चंद्रयान-3 चांद के काफी करीब पहुंच गया है और जल्द ही चांद पर लैंडिंग करने वाला है. इसरो की ओर से दी गई लेटेस्ट अपडेट के हिसाब से चंद्रयान-3 चांद की तरफ जाने वाली आखिरी कक्षा में पहुंच गया है. यानी ये लास्ट ऑर्बिट होगी और इसके बाद सीधे चांद पर लैंडिंग होगी. इस कक्षा में आने के साथ ही अब लैंडर को हटाने की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. चंद्रयान-3 की खबरों में 'विक्रम' और 'प्रज्ञान' नाम की काफी चर्चा हो रही है, जिसके जरिए चंद्रयान चांद की जमीन पर उतरेगा. ऐसे में सवाल है कि आखिर विक्रम और प्रज्ञान क्या हैं?


तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर विक्रम और प्रज्ञान का क्या काम है और किस तरह से ये चंद्रयान की लैंडिंग में अहम भूमिका निभाने वाले हैं. तो जानते हैं कि चंद्रयान के साथ विक्रम और प्रज्ञान से जुड़ी कुछ खास बातें...


क्या है चंद्रयान-3 का विक्रम?


चंद्रयान-3 मिशन में जो लैंडर है, उसका नाम विक्रम है. ये ही चांद की सतह पर जाएगा. आपको याद होगा जब पिछली बार चंद्रयान-2 भेजा गया था तो उस लैंडर का नाम भी विक्रम ही था. चांद की आखिरी ऑर्बिट में विक्रम यानी लैंडर को अलग कर दिया जाता है और वो चांद की जमीन पर उतरता है. ऐसा करने से पहले वो चांद पर लैंडिंग के लिए सही जगह का चयन करता है और पिछली बार गलत जगह होने की वजह से विक्रम से संपर्क टूट गया था और ये टूट गया था. फिर विक्रम के मलबे की तस्वीरें भी सामने आई थीं. 


ऐसे ही चंद्रयान-3 में है. आज इसने आखिरी कक्षा में प्रवेश कर लिया है, जहां से विक्रम को अलग कर दिया जाएगा. माना जा रहा है कि 23 अगस्त तक इसकी लैंडिंग जमीन पर हो जाएगी. ये चांद की जमीन पर उतरेगा और फिर इसके बाद इसके आगे का काम शुरू होगी. बताया जा रहा है कि गुरुवार को चंद्रयान-3 से विक्रम लैंडर को अलग करेंगे. इसके बाद विक्रम लैंडर को 30X100 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में लाया जाएगा. फिर धीरे धीरे स्पीड कंट्रोल करके और जगह का पता लगाकर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग होगी. 


क्या है प्रज्ञान?


अब बात करते हैं प्रज्ञान की. दरअसल, जब लैंडर यानी विक्रम चांद की जमीन पर लैंड कर जाएगा, उसके बाद प्रज्ञान का काम शुरू होगा. बता दें कि विक्रम के चांद पर पहुंचने के बाद उसमें से एक रोवर निकलेगा, जिसका नाम प्रज्ञान है. प्रज्ञान ही चांद से डेटा कलेक्ट करने का काम करेगा और चांद की जमीन पर जाने के बाद प्रज्ञान का काम शुरू होगा. प्रज्ञान डेटा लेने के साथ ही चंद्रमा की सतह पर हमेशा के लिए भारत की मौजूदगी के निशान भी छोड़ेगा.


बता दें कि रोवर का पिछला पहिया इस तरह डिजाइन किया गया है कि जब यह आगे बढ़ेगा तो इससे चांद की जमीन पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न छपेगा. इसके साथ ही दूसरा पिछला पहिया इसरो का निशान प्रिंट करेगा जो हमेशा के लिए चांद पर भारत की मौजूदगी का प्रमाण होगा.


ये भी पढ़ें- नॉर्मल ट्रेनों का तो आपको पता है... आज जानिए पैलेस ऑन व्हील्स में खाने में क्या-क्या मिलता है?