Chandrayaan-3: भारत का चंद्रयान-3 मात्र 6 दिनों बाद चांद की कक्षा में होगा. चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा में भेजने के लिए 1 अगस्त को 12 से 1 बजे के बीच उसके थ्रस्टर्स को चालू किया जायेगा. इसे ट्रांस-लूनर इंजेक्शन (Trans-Lunar Injection-TLI) प्रक्रिया कहते हैं, जिसे पूरा होने में 28 से 31 मिनट का समय लग सकता है. जब चंद्रयान-3 धरती के निकटतम बिंदु (Perigee) पर होगा तो इसके ऑनबोर्ड थ्रस्टर्स को फायर किया जाएगा. ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि इस बिंदु पर गति सबसे ज्यादा होगी.
पृथ्वी के निकटतम बिंदु से बढ़ेगा आगे
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा में फिलहाल 1 किमी/सेकंड और 10. 3 किमी/सेकंड के बीच की रफ्तार से घूम रहा है. Perigee पर इसका वेग सबसे ज्यादा (10.3 किमी/सेकंड) और सबसे दूर बिंदु पर सबसे कम होता है. चंद्रयान-3 की रफ्तार को बढ़ाने के साथ-साथ इसके कोण को भी बदलना होगा. यह दोनों काम पृथ्वी के निकटतम बिंदु से ही किए जा सकते हैं.
बढ़ जायेगा चंद्रयान-3 का वेग
चंद्रयान-3 को औसतन 1.2 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने में करीब 51 घंटे लगते हैं और पृथ्वी से चंद्रमा की औसत दूरी 3.8 लाख किलोमीटर है. उम्मीद है कि ट्रांस-लूनर इजेक्शन के बाद चंद्रयान-3 का वेग पेरिगी (पृथ्वी का सबसे निकटतम बिंदु) की तुलना में करीब 0.5 किमी/सेकंड बढ़ जायेगा.
23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरेगा
चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के कीर्तिमान भारत पहले ही 2008 (चंद्रयान -1) और 2019 (चंद्रयान -2) में रच चुका है. जिनमें वह चंद्रमा के चारों ओर एक सैटेलाइट भेज चुका है. चंद्रयान-3 का सबसे अधिक महत्वपूर्ण काम चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद का होगा. इसमें चंद्रयान-3 की ऊंचाई को कम करना और उसे 100 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित करने का चुनौतीपूर्ण काम करना होगा. इसरो 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडिंग मॉड्यूल से अलग करेगा. उसके बाद 23 अगस्त को चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की जाएगी.
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