चंद्रयान-3 अभी चांद के करीब पहुंच गया है. गुरुवार को चंद्रयान के प्रोपल्शन मॉड्यूल से विक्रम लैंडर अलग हो गया है और अब एक हफ्ते का रास्ता विक्रम अकेला ही तय करेगा. बताया जा रहा है कि विक्रम 23 अगस्त को चांद की जमीन पर उतरेगा, जिसमें रोवर प्रज्ञान निकलकर चांद से डेटा जमा करेगा. लेकिन, क्या आप जानते हैं अगर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक हो जाती है तो विक्रम और रोवर का काम सिर्फ 14 दिन का ही होगा. 14 दिन तक ही चांद से डेटा आ पाएगा. 


ऐसे में सवाल है कि आखिर क्यों 14 दिन ही विक्रम चांद से डेटा कलेक्ट करेगा और 14 दिन के बाद इसका क्या होगा. तो जानते हैं कि आखिर 14 दिन की क्या कहानी है और क्यों आने वाले करीब 20 दिन को खास माना जा रहा है. 


क्यों 14 दिन ही चलेगा मिशन?


दरअसल, चंद्रयान चांद के एक दिन में ही काम करेगा और ये दिन में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. बता दें कि चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है और ऐसे में वो सिर्फ पृथ्वी के 14 दिन तक ही काम कर पाएगा. कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इसके बाद रात में तापमान माइनस में काफी ज्यादा होने की वजह से प्रज्ञाम सर्वाइव नहीं कर पाएगा. हो सकता है कि ये 14 दिन से थोड़ा ज्यादा टाइम भी काम कर सके, लेकिन अभी 14 दिन ही इसकी सीमा मानी गई है. इस मिशन में 14 दिन तक विक्रम और प्रज्ञान काम करेंगे. 


वैसे ये 14 दिन रोवर के लैंडर से बाहर निकलने के बाद से काउंट होंगे और इन दिनों के हिसाब से इसकी टाइमिंग वगैहरा को सेट किया गया है. अभी विक्रम का अगला पड़ाव स्पीड कंट्रोल कर लैंडिंग के लिए अच्छी जगह खोजना है, जिसके बाद चांद पर रिसर्च का काम किया जाएगा. 


प्रोपल्शन मॉड्यूल का क्या होगा?


प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर और रोवर अलग हो गए हैं. लैंडर और रोवर तो अब चांद की लैंडिंग की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अभी प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद की कक्षा में घूमता रहेगा. ये कम्युनिकेशन बनाए रखने के लिए चक्कर लगाता रहेगा. इसके साथ ही डेटा कलेक्ट कर जमीन पर भेजता रहेगा. ये पृथ्वी के लिए डेटा कलेक्ट करने का काम लगातार करता रहेगा. 


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