राजनीतिक पार्टियों समेत पूरे देश की नजर राजस्थान और मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री कुर्सी पर है. बीजेपी ने एक तरफ छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय को राज्य का नया मुख्यमंत्री चुना है. वहीं, दूसरी तरफ राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अभी तक मुख्यमंत्री को लेकर कोई घोषणा नहीं की है. अभी हाल ही में पांच राज्यों में हुए चुनाव में बीजेपी ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भारी बहुमत से जीत दर्ज की. तेलंगाना में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और मिजोरम में जोराम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) के नेता लालडुहोमा ने मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया है. आज हम यही समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर मुख्यमंत्री कैसे तय होते हैं. इसके अलावा किसी भी पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री चुने जाने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?


क्या है मुख्यमंत्री बनने की योग्यता?


किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री बनने के लिए सबसे पहली योग्यता है कि वह नेता विधानसभा या जिन राज्यों में विधान परिषद हो, उनमें किसी भी एक सदन का सदस्य होना चाहिए. इसके अलावा विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कम से कम उम्र 25 साल और विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए कम से कम 30 साल उम्र होनी चाहिए. इन दोनों में से किसी भी सदन का सदस्य होने पर व्यक्ति मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकता है.


बिना विधायक बने भी पार्टी बना सकती है मुख्यमंत्री


भारतीय संविधान के नियमों के मुताबिक, बहुमत पाने वाली पार्टी की ओर से प्रस्तावित किए जाने पर या किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने की की दशा में उस राज्य का राज्यपाल अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए किसी भी व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला सकता है. हालांकि, शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री को सदन में बहुमत साबित करना होता है. वहीं, शपथ के बाद अगले छह महीने के अंदर मुख्यमंत्री को दोनों में से किसी एक सदन की सदस्यता हासिल करनी होती है


मुख्यमंत्री कैसे बदला जा सकता है?


किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री विधायक दल का नेता होता है. राज्य के सभी विधायकों के समर्थन से ही वह सीएम भी बनता है. लेकिन अगर कोई पार्टी अपना मुख्यमंत्री बदलना चाहती है तो वह विधायकों और सीएम से बात करती है. किसी भी सरकार में पार्टी ही सर्वेसर्वा होती है. इसलिए विधायकों के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं. मुख्यमंत्री बदलने के लिए सभी विधायक अपना समर्थन वापस लेते है. जिसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री को राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपना पड़ता है. इसके बाद बहुमत वाली पार्टी की ओर से नया मुख्यमंत्री राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करता है. सरकार बनाने के लिए पार्टी के उस मुख्यमंत्री को सदन में विधायकों का समर्थन दिखाना होता है. 


विपक्षी पार्टी कैसे गिरा सकती है सरकार?


किसी भी राज्य में सरकार बनाने और चलाने का पूरा मामला नेताओं के बहुमत के मुताबिक तय होता है. किसी भी राज्य में बहुमत का मतलब 51 प्रतिशत विधायकों का पार्टी पक्ष में होना होता है. अगर कुल विधायकों की संख्या 100 है, तो सरकार बनाने के लिए 51 विधायकों की ज़रूरत होती है. इसमें सदन के स्पीकर को नहीं गिना जाता है, क्योंकि वे कुछ सीमित मामलों में ही वोट डाल सकते हैं. इस स्थिति में अगर सत्ता पक्ष के कुछ विधायक पार्टी बदलकर विपक्ष की पार्टी में शामिल होते है या दो तिहाई विधायक ही पार्टी छोड़कर नई पार्टी बनाकर सरकार बनाने का दावा करते है, ऐसे स्थिति में सरकार गिर जाती है.


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