गंभीर भुखमरी से जूझ रहे पांच साल तक की उम्र के बच्चे, भारत में क्या है स्थिति?
वैश्विक स्तर पर पांच साल तक की उम्र का हर पांच में से एक बच्चा गंभीर खाद्य गरीबी से जूझ रहा है. यूनीसेफ की हाल ही में आई रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया है.
दुनियाभर में कई लोगों के पास भोजन भरपूर मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में हर पांच में से एक बच्चा गंभीर भुखमरी से जूझ रहा है. दरअसल हाल ही में आए आंकड़े आपको भी चौंका सकते हैं. ये स्थिति 180 मिलियन से ज्यादा बच्चों में है, जिससे उनकी वृद्धि और विकास पर बहुत असर पड़ता है.
इस देश में है सबसे गंभीर समस्या
बच्चों में भुखमरी की सबसे गंभीर स्थिति फिलीपींस में है, यूनीसेफ द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, फिलीपींस में लगभग 18 प्रतिशत या 20 लाख बच्चे गंभीर रूप से भोजन की कमी से जूझ रहे हैं. इस स्थिति में पांच में से चार बच्चों को सिर्फ मां का दूध और चावल, मक्का या गेहूं जैसे स्टार्चयुक्त भोजन दिया जाता है. इनमें से 10 प्रतिशत से भी कम बच्चों को फल और सब्जियां खिलाई जाती है और 5 प्रतिशत सेभी कम को अंडे, मछली, मुर्गी या मांस जैसे पोषक तत्व-सघन पदार्थ खिलाए जाते हैं.
भारत में क्या है स्थिति
यूनिसेफ की नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पिछले एक दशक में गरीब और अमीर परिवारों के बीच गंभीर गरीबी की स्थिति कम से कम 5 प्रतिशत कम हुई है.
भारत के साथ-साथ आर्मेनिया और बुर्किना फासो और गिनी सहित नौ अफ्रीकी देशों ने भी प्रगति दर्ज की गयी है. 2018-2022 तक गंभीर बाल खाद्य गरीबी में रहने वाले 65% बच्चों वाले 20 देशों में शामिल होने के बावजूद, भारत ने 10 दूसरे देशों के साथ प्रगति की है.
इन देशों में है सबसे ज्यादा गरीबी
पांच साल से कम उम्र के 181 मिलियन बच्चे या चार में से एक, गंभीर खाद्य गरीबी का सामना कर रहे हैं. जिनमें से 64 मिलियन दक्षिण एशिया में और 59 मिलियन उप-सहारा अफ्रीका में हैं. महत्वपूर्ण बाल खाद्य गरीबी वाले देशों में अफगानिस्तान (49%), बांग्लादेश (20%), चीन (10%), और पाकिस्तान (38%) जैसे देश शामिल हैं.
यूनिसेफ की सिफारिश है कि छोटे बच्चे प्रतिदिन आठ में से कम से कम पांच के खाद्य पदार्थ जरुर खिलाएं. जिनमें स्तन का दूध, अनाज, जड़ें, कंद और केला, दालें, मेवे और बीज, डेरी, मांस, मुर्गी और मछली, अंडे, विटामिन ए से भरपूर फल और सब्जियां जरुर खिलाएं. रिपोर्ट में सस्ते, उच्च कैलोरी वाले शर्करा युक्त पेय और अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के विपणन के लिए वैश्विक खाद्य प्रणाली की आलोचना की गई है, जो पेट तो भर देते हैं लेकिन आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण मोटापा ज्यादा बढ़ाते हैं.
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