जब बात स्पेस साइंस की होती है तो हमारे सामने सबसे बड़ा नाम नासा या फिर इसरो का आता है. लेकिन चीन भी इस मामले में पीछे नहीं है. दरअसल, चीन स्पेस में तेजी से काम कर रहा है. अंतरिक्ष में चीन कितना हाइटेक हो गया है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एक फटे हुए सैटेलाइट के कचरे से अपने स्पेस स्टेशन को बचाने के लिए उसने मात्र साढ़े 6 घंटे में अपने स्पेस स्टेशन के लिए कवच का निर्माण कर दिया. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर चीन ने ये कमाल कैसे किया और उसके स्पेस स्टेशन को किस सैटेलाइट के कचरे से खतरा था.
सैटेलाइट फटने का मामला समझिए
कुछ दिनों पहले रूस की सैटेलाइट RESURS-P1 स्पेस में ब्लास्ट हो गई. इस ब्लास्ट की वजब से ये सैटेलाइट 100 से ज्यादा हिस्सों में बंट गई जो स्पेस में इधर उध घूमने लगे. इस कचरे से ना सिर्फ इंटनेशनल स्पेस स्टेशन को बल्कि चीन के स्पेस स्टेशन तियानगॉन्ग को भी खतरा था. यही वजह है कि चीन को इतनी जल्दी अपने स्पेस स्टेशन के लिए ये कवच तैयार करना पड़ा.
चीन का 'अंतरिक्ष कवच'
रूस की सैटेलाइट फटने के बाद उसके कचरे का एक बड़ा हिस्सा चीन के स्पेस स्टेशन की ओर तेजी से बढ़ रहा था. चीन के वैज्ञानिकों को पता था कि अगर उन्होंने इस कचरे से अपने स्पेस स्टेशन को नहीं बचाया तो नुकसान बड़ा हो सकता है. यही वजह है कि इसके लिए शेनझोऊ-18 मिशन के दो एस्ट्रोनॉट्स को ये जिम्मेदारी दी गई कि वह किसी भी हालत में जल्द से जल्द चीन के स्पेस स्टेशन के चारों तरफ कवच लगाएं.
स्पेस वॉक के जरिए लगाया कवच
इस शील्ड को इन दो एस्ट्रोनॉट्स ने स्पेस स्टेश के चारों ओर मात्र साढ़े 6 घंटे में स्पेस वॉक करते हुए लग दिया. ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है. चीन ने अपने स्पेस स्टेशन को इस कचरे से बचाने के लिए इसके चारों ओर आर्मर लगा दिया है. इस पर चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन के साइंटिस्ट लियु मिंग ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि स्पेसवॉक का पहला काम ही यही था कि हम स्पेस स्टेशन के चारों तरफ ऐसे प्रोटेक्टिव डिवाइस लगा सकें, जिससे अगर छोटा मोटा कोई कचरा हमारे स्पेस स्टेशन से टकराए भी तो ज्यादा नुकसान ना हो. इसके अलावा ये प्रोटेक्टिव डिवाइस स्पेस स्टेशन के केबल्स और पाइपलाइन्स को भी इस सैटेलाइट के कचरे से सुरक्षित रखेंगे.