चीन में फिर खतरनाक वायरस के खतरे की खबरें, जानें वुहान लैब के साइंटिस्ट्स को कितनी मिलती है सैलरी?
चीन की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी हमेशा से विवादों में रही है. यह चीन की ऐसी लैब है, जहां खतरनाक प्रयोग होते रहते हैं. चीनी शहर वुहान की यह लैब हुआनान वेट मार्के से 40 किलोमीटर की दूरी पर है.
कोरोना के कहर के बाद चीन से एक और वायरस की आहट सुनाई दी है. दावा किया जा रहा है कि चीन में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (HMPV) काफी तेजी से फैल रहा है. सामने आ रहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह वायरस लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है और काफी जानलेवा है. सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि इस वायरस के कारण चीन के कई अस्पताल फुल हो चुके हैं और श्मशान घाटों पर भी लंबी वेटिंग चल रही है.
इन तस्वीरों ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को एक बार फिर टेंशन में डाल दिया है. दरअसल, ठीक पांच साल पहले खतरनाक कोरोना वायरस भी चीन की वुहान लैब से निकला था. इस खतरनाक वायरस ने दुनियाभर को अपनी चपेट में ले लिया था, जिसके कारण लाखों मौतें हुई थीं. कुछ सोशल मीडिया रिपोर्ट्स में एक बार फिर चीन की वुहान लैब को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. दरअसल, यह वही लैब है जहां चीन कई खतरनाक प्रयोग करता रहता है. बता दें, चीन वुहान लैब मे काम कर रहे रिसर्च साइंटिस्टों को मोटी सैलरी देता है, इसके अलावा भी इन वैज्ञानिकों को कई सुविधाएं दी जाती हैं.
वुहान लैब में होते हैं खतरनाक प्रयोग
चीन की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी हमेशा से विवादों में रही है. यह चीन की ऐसी लैब है, जहां खतरनाक प्रयोग होते रहते हैं. मध्य चीनी शहर वुहान की यह लैब हुआनान वेट मार्के से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर है. माना जाता है कि वुहान लैब में बना कोरोना वायरस सबसे पहले यहीं फैला था. हालांकि, चीन ने कभी भी वुहान लैब से कोरोना वायरस के लीक होने की बात स्वीकार नहीं की, लेकिन अमेरिकी एजेंसी एफबीआई ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि कोरोना वुहान लैब में ही बनाया गया था. सिर्फ कोरोना ही नहीं चीन की वुहान लैब और कई खतरनाक वायरस के लिए चर्चा में आ चुकी है.
मोटी सैलरी देता है चीन
जहां तक चीन की वुहान लैब के वैज्ञानिकों की बात है तो चीनी सरकार इन वैज्ञानिकों को मोटी सैलरी देती है. वायरस पर प्रयोग करने के लिए उन्हें कड़ी सुरक्षा भी प्रदान की जाती है. WorldSalaries.com के मुताबिक, चीन की वुहान लैब में रिसर्च साइंटिस्ट को औसतन एक साल में 553,800 यूआन सैलरी मिलती है, जो भारतीय रुपयों में 64,81,409 रुपये होते हैं. यह सैलरी अधिकतम 862,200 यूआन से लेकर न्यूनतम 272,800 यूआन तक हो सकती है. इसके अलावा उन्हें घर और ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा भी दी जाती है.
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