10 Kilometre Deep Hole In Earth: धरती में अगर 50 से 100 फीट नीचे जाएं तो पानी (भूमिगत जल) आ जाता है. वहीं, 1000 फीट के बाद से तो कच्चा तेल और गैस निकलने लगती है. कोयला सहित कई अन्य तमाम अयस्क भी इससे कम गहराई पर ही मिल जाते हैं. कुल मिलाकर 1000, 2000 फीट तक इंसान की जरूरत की चीजें मिल जाती हैं. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि चीन धरती में करीब 32,000 फीट गहरा छेद कर रहा है.
धरती में होगा 10 किलोमीटर गहरा छेद
चीन की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिनजियांग प्रांत के तारिम बेसिन इलाके में दुनिया के सबसे जिन्हे कृत्रिम छेद की खुदाई का काम शुरू भी कर दिया है. हिसाब लगाया जाए तो यह छेद लगभग 10 किलोमीटर से भी ज्यादा गहरा होगा. ऐसा करने के पीछे चीन का मकसद पृथ्वी से जुड़े कई राज जानना है. स्पेस के साथ अब चीन पृथ्वी की सतह के नीचे रिसर्च में भी तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा है.
मिलेंगी काम की जानकारियां
यह छेद 10 महाद्वीपीय परतों से होकर गुजरेगा. इसकी मदद से जलवायु परिवर्तन, महाद्वीपों का इतिहास, जीवन का विकास और पृथ्वी के इतिहास से जुड़ी कई जरूरी जानकारियां मिलेंगी. वैसे चीन की ओर से इस खुदाई और इसके पीछे के असली मकसद के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है.
छेद करने के पीछे चीन का मकसद
ऑपरेशन में काम करने वाले एक टेक्निकल एक्सपर्ट वांग चुनशेंग ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि 10 हजार मीटर से भी ज्यादा गहरा छेद करना एक बड़ा और चुनौती भरा कदम है. इससे पृथ्वी के अनजाने राज सामने आएंगे और इंसान धरती को और अच्छे से समझ पाएगा. इस ऑपरेशन से हजारों साल पहली भूकंप, ज्वालामुखी, जलवायु परिवर्तन जैसी पुरानी घटनाओं और उनके इतिहास को और भी बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी.
पहले रूस भी कर चुका है कोशिश
इससे पहले, रूस भी ऐसी ही कोशिश 1970 से 1992 के बीच कर चुका है. 22 सालों में रूस धरती में सिर्फ 12,262 फीट गहरा ही छेद कर पाया. फिलहाल यह होल ही दुनिया का सबसे गहरा कृत्रिम बिंदु है. रूस के बाद अब चीन ने भी इस ओर कदम बढ़ाया है. वह छेद करके पृथ्वी के विकास के इतिहास और उसकी संरचना के बारे में और भी ज्यादा जानकारी हासिल करना चाहता है.
छेद करने में होंगी चुनौतियां
यह खुदाई चीन के सबसे बड़े मरूस्थल तकलीमकान में चल रही है. इस हिस्से में रेत और धूल भरी आंधी से जूझते हुए काम कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. ऐसे में इस खुदाई को अंजाम देना वाकई चीन के लिए काफी चुनौती भरा काम होगा. अब बस यह देखने वाली बात है कि चीन इस खुदाई को कितनी गहराई तक चालू रख पाएगा.
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