What Is Staple Visa: चीन में विश्व यूनिवर्सियाड खेलों के लिए अरुणाचल प्रदेश के तीन खिलाड़ियों के स्टांप वीजा जारी करने पर विवाद हो गया है. दरअसल, चीन ने इन खिलाड़ियों के लिए विभिन्न प्रकार के वीजा जारी करने में काफी समय लिया था. इसे लेकर भारत ने पूरी टीम को चेंगदू भेजने से रोक दिया. ऐसे में आइए समझते हैं कि आखिर ये स्टेपल वीजा क्या होता है और बाकी के वीजा से ये कितना अलग है? चीन ये वीजा क्यों जारी करता है और भारत सरकार को इससे क्या तकलीफ है?


क्या होता है स्टेपल वीजा?


जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश की यात्रा करना चाहता है, तो उसे उस देश की अनुमति लेनी पड़ती है, जिसे वीजा कहा जाता है. वीजा में अलग-अलग प्रकार के विकल्प होते हैं, जैसे टूरिस्ट वीजा, बिजनेस वीजा, ट्रांज़िट वीजा, पत्रकार वीजा, एंट्री वीजा, ऑन अराइवल वीजा और पार्टनर वीजा. चीन ने इन खिलाड़ियों के लिए स्टेपल वीजा जारी किया था. इस प्रकार के वीजा में इमिग्रेशन ऑफिसर पासपोर्ट पर स्टाम्प नहीं लगाता, बल्कि एक अलग से कागज या पर्ची को पासपोर्ट से जोड़कर देता है.


स्टाम्प आमतौर पर यह दर्शाता है कि व्यक्ति उस देश में किस उद्देश्य से जा रहा है. नत्थी वीजा में व्यक्ति के पासपोर्ट के साथ एक अलग से कागज पर यात्रा करने का उद्देश्य लिखा होता है. इमिग्रेशन ऑफिसर उस कागज पर स्टाम्प लगाते हैं. इसे नत्थी वीजा कहा जाता है.


स्टेपल वीजा किन देशों में जारी किया जाता है?


स्टेपल वीजा कई देशों द्वारा जारी किया जाता है. इन देशों में शामिल हैं- क्यूबा, ईरान, सीरिया और उत्तर कोरिया. पहले चीन और वियतनाम ने अपने नागरिकों को स्टेपल वीजा दिया था, लेकिन इन देशों के बीच हुए समझौते के बाद, उन्हें वीजा छूट मिल गई है. चीन भारत के दो राज्यों, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को स्टेपल वीजा जारी करता है.


चीन की ओर से ये वीजा जारी क्यों किया जाता है?


चीन अन्य भारतीय राज्यों के लिए इस नीति का पालन नहीं करता है. इसका कारण है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का एक हिस्सा मानता है और तिब्बत पर अपना अधिकार जताता है. इसलिए चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना भू-भाग मानता है और वहां के नागरिकों के लिए नत्थी वीजा या स्टेपल वीजा जारी करता है. चीन उन इलाकों को भारत का हिस्सा नहीं मानता है, जिनके लिए वह स्टेपल वीजा जारी कर रहा है. अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ इसमें जम्मू-कश्मीर का नाम भी शामिल है. चीन का मानना है कि अरुणाचल प्रदेश उनका हिस्सा है और यहां के नागरिकों को 'अपने देश' की यात्रा के लिए वीजा की कोई जरूरत नहीं है.


नत्थी वीजा या स्टेपल्ड वीजा क्यों कहते हैं?


नत्थी वीजा इसलिए कहा जाता है क्योंकि पासपोर्ट के साथ जिस कागज को जोड़ा जाता है, जिसमें यात्रा का विवरण होता है, उसे नत्थी या स्टेपल किया जाता है. इसके लिए स्टेपलर की सहायता ली जाती है, यानी कागज की उस पर्ची को स्टेपलर की मदद से पासपोर्ट पर जोड़ दिया जाता है. स्टेपलर का हिंदी अर्थ नत्थी करना होता है. इसलिए इसे भी नत्थी वीजा (Staple Visa) कहते हैं.


इसके पीछे चीन की क्या रणनीति है?


वास्तव में, नत्थी वीजा वाले किसी व्यक्ति को अगर काम समाप्त होने पर अपने देश लौटना होता है, तो उसे पासपोर्ट के साथ मिलने वाली पर्ची को फाड़ दिया जाता है. इसी पर्ची पर यात्रा का कारण और स्टाम्प होता है. साथ ही, उस देश में एंट्री और एग्जिट पास को भी फाड़ दिया जाता है. इस तरह यात्रा करने वाले व्यक्ति के पासपोर्ट में यात्रा की कोई जानकारी नहीं रह जाती. भारतीय सरकार और प्रशासन के लिए यह सुरक्षा के मामले में बड़ी चुनौती पैदा करता है.


क्या है चीन की चाल?


चीन इस नत्थी वीजा के माध्यम से भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले लोगों को चीन में आमंत्रित करके भारत को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है. इसलिए जब भी चीन सरकार इन दोनों प्रदेशों के नागरिकों को नत्थी वीजा जारी करती है, तो भारत सरकार इसे खारिज करने का प्रयास करती है.


पहले भी हो चुका है विवाद


चीन ने 2000 के दशक में अरुणाचल प्रदेश के लिए नत्थी वीजा की प्रक्रिया शुरू की थी. उसके बाद से कई अन्य मौकों पर चीन ने भारतीय उत्तर पूर्व राज्यों के लोगों को इस वीजा को जारी किया है. भारत ने हर बार इसे खारिज करने के लिए प्रतिक्रिया दिखाई है. साल 2011 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के पांच कराते खिलाड़ियों को इस वीजा को दिया था, और 2013 में अरुणाचल प्रदेश के दो तीरंदाजों को यह वीजा जारी किया गया था. इसके जवाब में भारत ने 'वन चाइना पॉलिसी' का समर्थन करना छोड़ दिया है.


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