चीन अपने कारोबार के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. आर्थिक दृष्टिकोण से पिछले कुछ वर्षों में चीन ने जितनी ज्यादा तरक्की की पूरी दुनिया में किसी देश ने इतनी तरक्की नहीं की. लेकिन अब चीन के बारे में जो जानकारी मिल रही है वह और ज्यादा हैरान कर देने वाली है. दरअसल, चीन में एक ऐसा बुद्धिस्ट मंदिर है जो पूरी दुनिया में अपना अरबों का कारोबार चलाता है. यह मंदिर लगभग 15 सौ साल पुराना है. इस मंदिर में अगर आप प्रवेश लेना चाहते हैं तो आपको नहीं मिल सकता. क्योंकि इस मंदिर का रूल है कि यहां प्रवेश के लिए आपकी उम्र में 3 साल ही होनी चाहिए. यह मंदिर पूरी दुनिया में लगभग 40 कंपनियां चला रहा है.


कौन सा है यह मंदिर


चीन के इस मंदिर को शाओलिन मंदिर (Shaolin Temple) कहा जाता है. शाओलिन समूह की मुख्य तौर पर 5 सहायक कंपनियां जो पूरी दुनिया में मौजूद शाओलिन की कंपनियों को कंट्रोल करती है. यह कंपनियां रियल स्टेट, डेवलपमेंट, फार्मास्यूटिकल, मैनेजमेंट, प्रोडक्शन और सांस्कृतिक प्रसार के क्षेत्र में काम करती हैं. शाओलिन मंदिर इन्हीं पांच सहायक कंपनियों को अपने सुरक्षा का कवच भी मानता है. माना जाता है कि पिछले कुछ वर्षों में इन कंपनियों का कारोबार पूरी दुनिया में बहुत तेजी से बढ़ा है.


भारत में भी हैं इसकी जड़ें


इन कंपनियों की जड़ें भारत में भी हैं. यहां तक कि इन्हें हांगकांग स्टॉक एक्सचेंज में न केवल सिर्फ रजिस्टर किया गया है, बल्कि इन्होंने अपना आईपीओ भी लॉन्च किया है. भारत के 4 शहरों में शाओलिन मंदिर की कंपनियों द्वारा ट्रेनिंग सेंटर खोला गया है. हालांकि इन सबके बीच मंदिर पर कई तरह के आरोप भी लगे हैं. कुछ साल पहले इस मंदिर के ग्रुप बनाकर दुनिया भर में अपनी कंपनियां खोलने को लेकर विरोध भी हुआ था और चिंता जाहिर की गई थी कि यह शाओलिन मंदिर अपने मूल कर्तव्य से भटक गया है और गलत रास्ते पर जा रहा है. इस कंपनी के मौजूदा सीईओ पर कुछ साल पहले एक सेक्स स्कैंडल में फंसने का भी आरोप लगा था. हालांकि मास्टर शी को सरकारी जांच के बाद इन आरोपों से बाइज्जत बरी कर दिया गया था.


कहां है यह मंदिर


चीन का यह प्रसिद्ध शाओलिन मंदिर चाइना के हेनान प्रांत के झेंगझू शहर में माउंट तुंग पर्वत पर बना है. इस मंदिर को पांचवी सदी में बनाया गया था, तब इसे बौद्ध शिक्षा के मकसद से शुरू किया गया था, हालांकि बाद में इस मंदिर में कुंगफू और मार्शल आर्ट सिखाया जाने लगा. आज इस मंदिर की कंपनियों की शाखाएं भारत, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों में खुल गई हैं. द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर से इन्वेस्टर इस मंदिर के केंद्र अपने शहर में खोलने के लिए चीन के शाओलिन जाते हैं. 


माओ ने तोड़ दिया था मंदिर


चीन में जब लाल क्रांति शुरू हुई तो उस दौरान उन्होंने इस मंदिर को भी तोड़ दिया था. हालांकि, इसे बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन कुछ हद तक नुकसान जरूर पहुंचाया गया था. इस दौरान इस पूरे मंदिर में सिर्फ 20 भिक्षु ही रह गए थे. लेकिन जब माओ का निधन हुआ और उसके बाद चीन में स्थितियां बदलीं तब इस मंदिर में फिर से रफ्तार पकड़ ली.


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