यहां शादी से एक महीने पहले रोने लगती है दुल्हन, रोज करनी होती है प्रैक्टिस
शादी एक पवित्र रिश्ता है. आपने देखा होगा कि शादी के वक्त विदाई के समय महिलाएं रोती हैं और उसके साथ परिवार के लोग भी रोते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चीन में रोने की रस्म क्या है.
शादी को पति-पत्नी का अटूट बंधन कहा जाता है. समाज में शादी सबसे जरूरी और पवित्र रस्मों में एक है. आमतौर पर आपने देखा होगा कि शादी के बाद विदाई के वक्त दुल्हन और उसके परिवार के लोग रोते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक जगह ऐसी भी है, जहां पर शादी के एक महीने पहले दुल्हन रोने की प्रैक्टिस करती है. जी हां, आज हम आपको बताएंगे कि कहां पर एक महीने पहले दुल्हन रोने की प्रैक्टिस करती है.
शादी
शादी एक पवित्र रिश्ता है. लेकिन आपने देखा होगा कि भारत में शादियों के वक्त दुल्हनें विदाई के समय रोती हैं. दुल्हन जब घर से अलग होती हैं, तब उनको रोना आ जाता है. क्योंकि वो अपना घर छोड़कर पराय घर में जाती हैं और फिर उसे ही अपना नया घर बना लेती हैं.
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चीन में शादी
भारत की ही तरह चीन में भी ऐसी ही परंपरा है. चीन में एक विचित्र परंपरा है. इसमें दुल्हनों को शादी के वक्त रोना पड़ता है और अगर उनको रुलाई नहीं आई तो कई बार उन्हें रोने के लिए पीटा भी जाता है. जी हां, दुल्हनों को रोने के लिए पीटा जाता है.
चीन की परंपरा
बता दें कि चीन के दक्षिण पश्चिमी प्रांत सिचुआन में तूजिया जनजाति के लोग हजारों सालों से रह रहे हैं. इनके यहां एक विचित्र परंपरा का पालन किया जाता है, जिसमें दुल्हन की शादी में रोना जरूरी है. वहीं ऑडिटी सेंट्रल वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये परंपरा 17वीं शताब्दी तक चरम पर थी. 1911 में क्विंग साम्राज्य तक इसका पालन किया जाता था. हालांकि समय के साथ ये प्रथा खत्म होती जा रही है. जानकारों के मुताबिक ये परंपरा 475 बीसी से 221 बीसी के बीच शुरू हुई थी. जब ज़ाओ स्टेट की राजकुमारी की शादी यैन राज्य में हुई थी. तब जाने के वक्त उनकी मां फूटफूटकर रोई थी और बेटी को जल्दी घर लौटने के लिए कहा था. इसी को शादियों में रोने का सबसे पहला मौका माना जाता है.
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नहीं रोना बुरा
जानकारी के मुताबिक अगर दुल्हन नहीं रोती है, तो गांव में उसका मजाक बन जाता है. ये लोग उसे परिवार की बुरी पीढ़ी मान लेते हैं. वहीं कई मौकों पर तो अगर दुल्हन को रोना नहीं आता है, तो मां अपनी बेटी को पीटकर उसे रुलाती है. अब एक ओर जहां दक्षिण पश्चिमी प्रांत में सिर्फ दुल्हन के रोने का रिवाज है, वहीं पश्चिमी प्रांत में रिवाज कुछ अलग है. यहां इसे जुओ टांग कहा जाता है जिसका अर्थ होता है हॉल में बैठना. शादी के एक महीने पहले रात के वक्त दुल्हन किसी बड़े हॉल में जाती है और बैठकर करीब एक घंटे रोती है. इसके 10 दिन बाद उसकी मां भी उसके साथ शामिल हो जाती है और फिर 10 दिन बाद दादी-नानी, बहन, बुआ-मौसियां और सारे एक साथ रोते हैं. रोने के साथ एक खास गाना बजता है, जिसपर वो सारे रोते हैं और इसे क्राइंग मैरेज सॉन्ग कहते हैं.
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