(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सिगरेट, गाड़ियां या फिर पराली... प्रदूषण बढ़ाने में सबसे ज्यादा रोल किस चीज का है?
दिल्ली में एक बार फिर प्रदूषण चिंता का विषय बन गया है. दिवाली नजदीक आते ही शहर के आसपास के क्षेत्र के किसान पराली जलाना शुरू कर देते हैं, लेकिन यह पॉल्यूशन का अकेला कारण नहीं है.
Cigarettes Vehicles: भारत की राजधानी दिल्ली एक बार फिर गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रही है, एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 'बहुत खराब' कैटेगरी में पहुंच गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को दिल्ली में एक्यूआई 376 मापा गया. दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता खराब होने के लिए परंपरागत रूप से पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट बताती है कि 21 से 26 अक्टूबर के बीच, पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि का केवल आधा हिस्सा पराली जलाने के कारण हुआ. ऐसा हर साल होता है जब दिवाली के आस पास पराली जलाने से दिल्ली की हवा खराब हो जाती है.
हेल्थ के लिए खतरनाक
PM2.5 कण एक बड़ी चिंता का विषय हैं, क्योंकि वे बहुत छोटे होते हैं, जिनकी माप केवल 2.5 माइक्रोन होती है, जो एक मीटर का दस लाखवां हिस्सा है. ये छोटे कण दृश्यता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं और हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे अस्थमा और सांस लेने में कठिनाई जैसी श्वसन समस्याएं हो सकती हैं.
पराली से बड़ा कारण है ये
सीएसई की रिपोर्ट बताती है कि वाहनों के अलावा, घरेलू स्रोत दिल्ली के प्रदूषण में 13% का योगदान देते हैं, उद्योगों का 11%, निर्माण का 7% और कचरा जलाने और ऊर्जा क्षेत्र का 5% योगदान है. सड़क की धूल और अन्य स्रोत 4% योगदान करते हैं. सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार, वाहन उत्सर्जन और घर के अंदर खाना पकाने से होने वाला उत्सर्जन प्रदूषण के शीर्ष स्रोत हैं. सीएसई इस बात पर जोर देता है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण में वाहन प्राथमिक योगदानकर्ता हैं, लेकिन इस मुद्दे के समाधान के लिए प्रभावी उपायों की कमी रही है.
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