खानों में मसालों का बहुत ज्यादा महत्व है. दुनियाभर में खासकर भारतीय खाने अपने मसालों की वजह से जाने जाते हैं. कुछ मसाले ऐसे होते हैं, जिनके बिना खानों का कोई स्वाद नहीं होता है. आज हम आपको एक ऐसे ही मसाले के बारे में बताने वाले हैं, जिसका नाम दालचीनी है. क्या आप जानते हैं कि दालचीनी मसाले का नाम दालचीनी कैसे पड़ा है. आज हम आपको दालचीनी मसाले के बारे में बताएंगे.
दालचीनी
भारतीय किचन में आपको बहुत सारे मसाले मौजूद दिखते हैं. जिसमें गर्म मसाला, जीरा, आजवाइन, लाल मिर्च और दालचीनी समेत बहुत सारे मसाले हैं. इन मसालों के बिना खासकर भारतीय फूड का कोई स्वाद नहीं आता हैं. खासकर दालचीनी जैसे दिखने वाला मसाला पेड़ की छाल जैसा दिखता है. ये मसाला स्वाद में हल्का मीठा होता है. खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही यह सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होता है.
कैसे पड़ा दालचीनी नाम
हम सभी जानते हैं कि दाल और चीनी दो अलग प्रोडक्ट है. लेकिन एक भारतीय किचन में मिलने वाला मसाला भी दालचीनी कहलाता है. एक एक्सपर्ट के मुताबिक दुनिया भर में दालचीनी को cinnamon कहा जाता है. भारत में यह मसाला चीन के रास्ते लाया गया था.
हमारे यहां चीन से लाई गई अधिकतर चीजों के नाम के आगे चीनी लगा दिया जाता है. यह मसाला एक पेड़ की डाल की छाल से निकाला जाता है. यही कारण है कि डाल की छाल से निकलने और चीन से आने की वजह से इसे दालचीनी कहा जाता है. दालचीनी लगभग हर खाने में डाला जाता है. इतना ही नहीं ये हर भारतीय किचन में मिल जाता है. आयुर्वेद में भी इसका जिक्र होता है. स्वास्थ्य के लिए यह बहुत लाभदायक होता है. यह मसाला एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुणों से भरपूर है. छाल में मौजूद सिनामाल्डिहाइड एक आवश्यक तेल है. सिनामाल्डिहाइड के कारण ही ये सभी गुण दालचीनी में पाए जाते हैं.
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