Climate Change : क्या आपको बर्फ पसंद है? क्या आप गर्मी के मौसम में बर्फीले पहाड़ों पर जाने के बारे में सोचते हैं? अगर हां, तो आपके लिए एक बुरी खबर है. आपके पसंदीदा बर्फीले पहाड़ पानी बन रहे हैं. इसकी वजह कुछ और नहीं, बल्कि क्लाइमेट चेंज ही है. अब 2023 चल रहा है. आज से 7 साल बाद यानी 2030 तक आर्कटिक महासागर के ग्लेशियर पूरी तरह गायब हो सकते हैं. यह दावा एक लेटेस्ट रिपोर्ट में किया गया है. हैरान करने वाली बात यह है कि आर्कटिक दुनिया के बाकी एरिया के मुकाबले चार गुना तेजी से गर्म हो रहा है. यकीन मानिए, यह आपके और हमारे लिए सही नहीं है. 


क्लाइमेट चेंज है वजह


रिसर्चर्स के अनुसार, बर्फ के तेजी से पिघलने और गर्मी बढ़ने के पीछे की वजह क्लाइमेट चेंज है. क्लाइमेट चेंज की वजह से पिछले 10 सालों में दुनिया में मौजूद कुल ग्लेशियर का 2% हिस्सा पिघल कर पानी बन चुका है. पिछले 40 साल में मल्टी लेयर बर्फ 70 लाख वर्ग किमी से घटकर 40 लाख वर्ग किमी पर आ चुकी है.


बदलाव की कैसे मिली जानकारी?


सवाल है कि यह रिसर्च की किसने है? रुकिए हर सवाल का जवाब आपको हमारी इस रिपोर्ट में मिलेगा. यूरोप की क्रायोसैट सैटेलाइट ने दुनिया के लगभग 2 लाख ग्लेशियरों का पता लगाया है. सैटलाइट में 'रडार ऑल्टीमीटर' नाम का एक उपकरण लगा हुआ है. ये उपकरण ग्लेशियर की ऊंचाई का पता लगाने के लिए ग्रह की सतह पर माइक्रोवेव पल्स सेंड करता है.


इस सैटेलाइट से मिले डेटा के अनुसार, क्लाइमेट चेंज की वजह से 10 सालों में इन ग्लेशियरों की 2.72 लाख करोड़ टन बर्फ पिघल गई है. इस डेटा को देखते हुए एक्सपर्ट्स की एक टीम ने कहा है कि इस बदलाव की मॉनिटरिंग होना, बेहद जरूरी है क्योंकि दुनिया में लाखों की संख्या में लोग पीने के पानी और खेती के लिए इन पर डिपेंड हैं.


बर्फ का पिघलना सही नहीं... 


सैटेलाइट डेटा के अनुसार, 2010 से 2020 के बीच 89% बर्फ गर्म मौसम के कारण पिघली है. इसके अलावा, 11% बर्फ नैचुरल प्रोसेस की वजह से पिघली है. वजह कोई भी हो, लेकिन बर्फ का पिघलना सही नहीं. 2021 में नासा ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि 2100 तक दुनिया का टेंपरेचर काफी बढ़ जाएगा. उस समय लोगों को भयानक गर्मी झेलनी पड़ेगी. अगर अभी भी सुधार नहीं किया गया तो तापमान हर साल बढ़ता जायेगा. अगर तापमान बढ़ने से ज्यादा ग्लेशियर पिघलते हैं तो इनका पानी तबाही लेकर आएगा.


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