क्लाइमेट चेंज का बियर के स्वाद पर भी पड़ रहा असर, जानिए अब कैसा हो जाएगा टेस्ट?
Taste of Beer: क्लाइमेट चेंज आने वाले समय में एक सबसे बड़ी समस्या बनने जा रहा है. इसका असर बियर के टेस्ट पर भी पड़ सकता है. इसको लेकर एक स्टडी सामने आई है.
Taste of Beer: क्लाइमेट चेंज खतरनाक है, और दुर्भाग्य से यह पुरानी खबर है. हममें से बहुत से लोग तथाकथित “ग्रीन” या टिकाऊ सॉल्यूशन को अपने जीवन में शामिल करने की परवाह करते हैं और प्रयास करते हैं. कई लोग जलवायु परिवर्तन का खंडन करते रहते हैं. चाहे आप बीयर पीते हो या ऐसा करना पसंद ना करते हो लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अभी के बीयर का जो टेस्ट है, वह आने वाले समय में बदलने वाला है. हाल के शोध में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन बीयर को प्रभावित करेगा, जिससे यह महंगी हो जाएगी और संभावित रूप से स्वाद भी बदल जाएगा. यहां वह सब कुछ है जो आपको जानना आवश्यक है.
इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा
आप सोच रहे होंगे कि जलवायु परिवर्तन बीयर के स्वाद को कैसे प्रभावित कर सकता है. बता दें कि पानी और चाय के बाद बीयर तीसरा सबसे लोकप्रिय पेय है. द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर लोकप्रिय मादक पेय को अपना विशिष्ट स्वाद और गंध हॉप्स नामक फूल से मिलती है, जिसकी मात्रा और मात्रा क्लाइमेट चेंज से प्रभावित होगी. नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में भविष्यवाणी की गई है कि जब तक किसान गर्म और शुष्क मौसम के अनुकूल नहीं होंगे, यूरोप के उत्पादक क्षेत्रों में हॉप की पैदावार 2050 तक लगभग 4 से 18 प्रतिशत तक गिर जाएगी. यह भी अनुमान लगाया गया है कि हॉप्स में अल्फा एसिड जिम्मेदार हैं. ऐसा होने से अभी के स्वाद की तुलना में आने वाले समय में 20-31 प्रतिशत की गिरावट आ जाएगी.
इस तरह से भी दिख सकता है असर
चेक एकेडमी ऑफ साइंसेज के ग्लोबल चेंज रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक, स्टडी के सह-लेखक मिरोस्लाव ट्रंका कहते हैं, "बीयर पीने वालों को निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन दिखाई देगा, या तो कीमत या गुणवत्ता में. हमारे डेटा से यह लगता है. यूरोप के पबों में मौसम और राजनीति को छोड़कर सबसे अधिक बहस बीयर के बारे में होती है.” संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के अनुसार, क्लाइमेट चेंज हालांकि सभी के लिए हानिकारक है, लेकिन लोगों को असमान रूप से प्रभावित करता है. इसकी रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन की जांच करने वाली पहली और यह प्रजनन स्वास्थ्य को कैसे संदर्भित करती है, रिपोर्ट में पाया गया है कि केवल एक तिहाई राष्ट्र ही महिलाओं और लड़कियों पर जलवायु संकट के असंगत प्रभाव को पहचानते हैं.
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