6 साल 90 दिन...! शुरू हो गई महाविनाश की उल्टी गिनती? जानिए क्या है ये 'क्लाइमेट क्लॉक', जिसमें उल्टा चल रहा समय
अर्थ डे के मौके पर दिल्ली के इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में सोलर मैन ऑफ इंडिया डॉक्टर चेतन सोलंकी और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने क्लाइमेट क्लॉक को लॉन्च किया है. आइए जानते हैं ये क्या है?
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Climate Clock: दुनिया के लिए जलवायु परिवर्तन (Climate Change) एक बहुत बड़ी चुनौती है. इसकी वजह से मौसम के अनियमित पैटर्न और अन्य जलवायु संबंधी आपदाओं का सामना दुनियाभर के लोग कर रहे हैं. ग्लोबल वार्मिंग को कंट्रोल करने का समय हाथ से निकला जा रहा है. ऐसे में वक्त के साथ इसके भयानक परिणाम देखने को मिलेंगे. वैसे तो वक्त देखने के लिए हम घड़ी का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन एक घड़ी ऐसी भी है जो महाविनाश की जानकारी देती है. इस घड़ी का नाम Climate Clock है.
अर्थ डे के मौके पर की गई लॉन्च
अर्थ डे के मौके पर दिल्ली के इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में सोलर मैन ऑफ इंडिया डॉक्टर चेतन सोलंकी और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस क्लॉक को लॉन्च किया है. ये घड़ी बता रही है कि सिर्फ 6 साल 90 दिन और 22 घंटे में कैसे धरती का तापमान 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा.
आखिर क्या है इसकी खासियत?
भारत के सोलर मैन सोलंकी ने बताया कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी जलवायु परिवर्तन के खतरों से अनजान है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के नाम पर लोगों की जिंदगी को बहुत बड़ा खतरा है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि इस खतरे के आने में कितना वक्त बचा है. इसलिए इस Climate Clock को लॉन्च किया गया है.
2030 में क्या होगा?
दुनियाभर में हो रहे शोधों और वैज्ञानिकों का यही कहना है कि पृथ्वी का तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा है. एक ताजा शोध के अनुसार साल 2030 तक तापमान में 1.5 डिग्री बढ़ जायेगा. अगर ऐसा हुआ, तो इसका हम पर बहुत विपरीत पड़ेगा. यह बदलाव अपने साथ कई बड़े बदलावों को लेकर आएगा.
क्लाइमेट क्लॉक क्या करती है?
सोलंकी ने बताया कि क्लाइमेट क्लॉक इस बात की याद दिलाएगी कि ग्लोबल वार्मिंग तक पहुंचने में कितना समय बचा है. इसके मुताबिक सिर्फ 6 साल 90 दिन 22 घंटे में धरती का तापमान डेढ़ डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. इसका सीधा असर पर्यावरण और धरती वासियों के जीवन पर पड़ेगा. 2030 में तय समय के बाद यह घड़ी बंद हो जायेगी.
लोगों को कर रहे जागरूक
डॉ. सोलंकी लगभग तीन सालों से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं. वो सोलर एनर्जी से चलने वाले बस में ही रहते, खाते-पीते और सोते हैं. अगर हम नहीं संभले, तो क्लाइमेट क्लाॅक की साल 2030 तक की उलटी गिनती शुरू हो गई है.
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