प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बीते शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया है. इसके बाद करीब दो घंटे तक पूछताछ के बाद रात 9 बजे यह गिरफ्तारी हुई है. ईडी के अधिकारियों के मुताबिक आज अरविंद केजरीवाल को कोर्ट में पेश किया जाएगा. गिरफ्तारी से पहले ईडी के अधिकारियों ने सीएम केजरीवाल को अरेस्ट मेमो दिया और पढ़कर सुनाया भी था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अरेस्ट मेमो क्या होता है. 


अरेस्ट मेमो ?


किसी भी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के लिए नियम अलग होते हैं. आम इंसानों की तरह सीएम को गिरफ्तार नहीं किया जाता है. इसीलिए ईडी की टीम ने प्रोटोकॉल के तहत सीएम को गिरफ्तार करने से पहले उन्‍हें अरेस्‍ट मेमो पढ़ने के लिए दिया है. इतना ही नहीं अधिकारियों ने यह मेमो पढ़कर सुनाया भी था. जानकारी के मुताबिक मेमो में अरविंद केजरीवाल को यह बताया गया कि उन्‍हें किन ग्राउंड पर गिरफ्तार किया जा रहा है. 


गिरफ्तारी के वक्त अरेस्ट मेमो


पुलिस या किसी जांच एजेंसी द्वारा जब किसी आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है, तो उस व्यक्ति को अरेस्ट मेमो पढ़ने के लिए दिया जाता है. उस अरेस्ट मेमो में गिरफ्तारी की वजह, समय और तारीख लिखी होती है. इतना ही नहीं इस अरेस्ट मेमो में दो गवाहों के साइन भी होते हैं. 


सीएम की गिरफ्तारी


संविधान के अनुच्छेद 361 के मुताबिक सिविल मामले में किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया जा सकता है. लेकिन आपराधिक मामले में गिरफ्तारी हो सकती है. सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी भी इन्हीं नियमों के तहत हुई है. 


कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135


कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के मुताबिक सीएम या विधान परिषद के सदस्य को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट देता है. हालांकि ये आपराधिक मामलों में ऐसी छूट नहीं देता है. जानकारी के मुताबिक आपराधिक मामले में सीएम की गिरफ्तारी से पहले विधानसभा के अध्यक्ष की स्वीकृति लेना जरूरी होता है. वहीं दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1973 के प्रावधानों के मुताबिक कानून प्रवर्तन एजेंसियों को किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति मिली हुई, जिसके खिलाफ अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है.


 


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