सीएम उमर अब्दुल्ला या फिर एलजी, कश्मीर में किसका आदेश मानेगी पुलिस?
जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्लाह ने नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि अब प्रदेश में पुलिस एलजी और सीएम में से किसके आदेश का पालन करेगी.
जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में जनता ने अपना नेता चुन लिया है. प्रदेश में आए चुनावी नतीजों के बाद उमर अब्दुल्ला ने नए सीएम के तौर पर शपथ ले ली है. उन्होंने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र (SKICC) में शपथ ली. नई उमर सरकार ने राज्य की बहाली की बात फिर दोहराई. हालांकि जम्मू-कश्मीर एक केंद्र-शासित प्रदेश है.
ऐसे में नई विधान सभा और नए मुख्यमंत्री के पास वैसी शक्तियां नहीं हैं जो एक राज्य की विधान सभा और मुख्यमंत्री के पास आमतौर पर होती हैं. वहीं चुनावी नतीजे आने के बाद और नई सरकार बनने से पहले जम्मू-कश्मीर के एलजी के नेतृत्व वाले प्रशासन के 24 घंटों के बीच लिए गए दो फैसले चर्चा का विषय बन गए हैं. इन्हीं फैसलों के बीच एक सवाल भी उठता है कि अब जम्मू कश्मीर पुलिस सीएम उमर अब्दुल्ला के आदेश मानेगी या फिर एलजी के? चलिए जानते हैं.
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जम्मू कश्मीर में कौन करेगा पुलिस की भर्ती?
चुनावी नतीजे आने के बाद सरकार ने दो खास फैसले सुनाए हैं. उन्हीं में पुलिस की भर्ती का आदेश भी शामिल है. 10 अक्टूबर को जारी किए गए नए जम्मू और कश्मीर पुलिस (गज़ेटेड) सेवा भर्ती नियम, 2024 के तहत ये कहा गया है कि पुलिस में की जाने वाली सभी सीधी भर्तियां जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग करेगा.
इसके अलावा प्रमोशन या पदोन्नति के मामले डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमिटी (डीपीसी) तय करेगी. दरअसल पहले पुलिस विभाग में भर्ती के लिए जम्मू कश्मीर में अपना भर्ती बोर्ड था. वहीं संशोधित नियमों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पुलिस लेफ़्टिनेंट गवर्नर के नियंत्रण में आती है और उसके कामकाज में मुख्यमंत्री का कोई रोल नहीं होगा.
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जम्मू कश्मीर में पुलिस किसके आदेश मानेगी?
इससे साफ होता है कि जम्मू कश्मीर में पुलिस को एलजी के आदेश ही मानना होंगे. गौरतलब है कि इसी साल जुलाई में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक कार्यकारी अधिसूचना के जरिए ट्रांज़ैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स में संशोधन करके जम्मू-कश्मीर के एलजी के प्रशासनिक अधिकारों में बढ़ोतरी की है. इन नए नियमों के मुताबिक एलजी को उन ऑल इंडिया सर्विसेज के कामकाज पर अंतिम अधिकार दे दिया गया था जिनमें केंद्र शासित प्रदेश की वरिष्ठ नौकरशाही शामिल है. बता दें कि नए नियमों के अनुसार, एंटी-करप्शन ब्यूरो, डायरेक्टरेट ऑफ़ पब्लिक प्रॉसिक्युशन्स, जेल विभाग और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी को भी एलजी के नियंत्रण में दे दिया गया है. इसके अलावा कहा गया है कि एडवोकेट जनरल और अन्य लॉ अफसरों की नियुक्ति पर भी अंतिम मंजूरी एलजी की होगी.
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