क्या भेड़ियों को मार सकता है कोई भी इंसान? जानिए क्या है नियम
बहराइच में आदमखोर भेड़ियों का दहशत अभी भी है. इसको देखते हुए सीएम योगीआदित्यनाथ ने आदमखोर भेड़ियों को मारने का आदेश दिया है. अब सवाल ये है कि क्या कोई आम इंसान भेड़ियों को मार सकता है? जानिए नियम.
उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों का आतंक जारी है. जिसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भेड़ियों को मारने का आदेश दिया है. सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर अब बहराइच के जंगल में आदमखोर भेड़िये को मारने के लिए नौ शूटरों की एक विशेष टीम तैनात की गई है. उस टीम में वन विभाग और पुलिस के शूटर शामिल हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या कोई आम इंसान भेड़ियों को मार सकता है. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
भेड़ियों का आतंक
उत्तर प्रदेश के बहराइच में पिछले एक महीने से भेड़ियों का आतंक है. वहां के लोग रात भर जगकर पहरा दे रहे हैं. इतना ही नहीं आदमखोर भेड़ियों ने अब तक करीब 9 बच्चों को अपना शिकार बनाया है. लेकिन अब सवाल ये है कि क्या कोई आम आदमी भेड़ियों को मार सकता है. आखिर भेड़ियों को मारने के लिए क्या नियम हैं.
भेड़ियों को मारने का आदेश
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आदमखोर भेड़ियों को मारने का आदेश दिया है. इसके शूटर की स्पेशल टीम भेड़ियों को खोजने में जुट गई है. लेकिन बता दें कि भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत भेड़ियों को मारना गैरकानूनी है. इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है, तो ये अपराध है. क्योंकि भारतीय ग्रे वुल्फ को अत्यधिक लुप्तप्राय जानवर कैटेगरी में रखा गया है. सरकार ने भेड़ियों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित किया गया है, इस कारण कोई आम आदमी उन्हें बिना सरकारी आदेश के नहीं मार सकता है.
क्या मिलेगी सजा
अब सवाल ये है कि कोई व्यक्ति अगर भेड़ियों को मारता है, तो उसे क्या सजा मिलेगी? भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 में जानवरों को मारने, जहर देने, अपंग करने या बेकार करने के लिए सजा का प्रावधान है.
कौन दे सकता है मारने का आदेश
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर संरक्षित जानवरों को मारने का आदेश कौन दे सकता है. बता दें कि बहराइच में जिस तरह से आदमखोर भेड़िए को मारने का आदेश दिया गया है, वो मनुष्यों के लिए खतरा होने के कारण दिया गया है. सरकार के पास जानवर को जब्त करने, जब्त करने या नष्ट करने की शक्ति है. इसे पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 28 के तहत किया जा सकता है. ये आदेश प्रदेश के शीर्ष अधिकारी के साथ संबंधित इलाके के कलेक्टेर को देना होता है.
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