हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़-लिखकर किसी बड़े पद तक पहुंचे. इसके लिए बच्चे के पैदा होने के साथ ही उस बच्चे के एजुकेशन की प्लानिंग शुरू हो जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बड़ी संख्या में बच्चों के कोचिंग इंडस्ट्री में पहुंचने के कारण ही आज देशभर में कोचिंग इंडस्ट्री तेजी से फैल रहा है. आज देश में कोचिंग इंडस्ट्री का धंधा इतना बड़ा हो चुका है कि कोचिंग मालिकों ने इस साल जीएसटी के तौर पर सरकार को अरबों रुपये दिए हैं. जानिए बीते कुछ सालों में कोचिंग मालिकों ने सरकार को कितने अरब रुपये टैक्स में दिए हैं.
कोचिंग इंडस्ट्री
आज के वक्त अधिकांश माता-पिता अच्छी शिक्षा के लिए बच्चों को स्कूल के समय ही कोचिंग में डाल देते हैं. इतना ही नहीं 12वीं का एग्जाम देने के बाद छात्र अलग-अलग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए भी सालों तक कोचिंग करते हैं. कॉलेज में दाखिला लेकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी के लिए वो छात्र फिर से सालों तक कोचिंग ज्वॉइन कर लेते हैं. कुछ सरकारी और प्राइवेट कर्मचारी तो ऐसे भी हैं, जो यूपीएससी समेत किसी अन्य बड़े एग्जाम की तैयारी के लिए नौकरी छोड़कर या नौकरी में स्टडी लीव लेकर दोबारा कोचिंग ज्वॉइन करते हैं. वहीं आज के वक्त अधिकांश कोचिंग सेंटरों की फीस लाखों रुपये है और वो सैकड़ों छात्रों को एक साथ बैठाकर पढ़ाते हैं. अब आप कैलकुलेट करेंगे तो एक छात्र अपने जीवन में लाखों रुपये की फीस कोचिंग सेंटरों को देता है. आसान भाषा में समझिए तो सिर्फ भारत में कोचिंग इंडस्ट्री का धंधा अरबों-खरबों तक पहुंच चुका है.
कोचिंग मालिकों ने अरबों रुपये दिया GST
देश में कोचिंग इंडस्ट्री का धंधा कितना तेजी से बढ़ रहा है, इसका सबूत ये है कि पिछले चार-पांच साल में कोचिंग इंस्टिट्यूशन से मिलने वाले जीएसटी कलेक्शन में दोगुनी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 में जहां कोचिंग संस्थानों से 2240.73 करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन मिला था, वहीं 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 5517.45 करोड़ हो गई है. इसके अलावा 2020-21 में कोविड के दौरान भी यह आंकड़ा 2215.24 करोड़ का रहा है. 2021-22 में 3045.12 करोड़ और 2022-23 में 4667.03 करोड़ रुपये का कलेक्शन रहा है.
गाइडलाइंस भी जारी
बता दें कि शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग सेंटरों के लिए 16 जनवरी 2024 को गाइडलाइंस भी जारी किया था. जिसमें छात्रों से ज्यादा फीस वसूलने, छात्रों पर ज्यादा तनाव थोपने जैसी समस्याओं के बारे में जिक्र था. लेकिन अब सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि छात्रों की समस्याओं को समझते हुए केंद्र को राज्य सरकारों के साथ मिलकर छात्रों के हित वाली पॉलिसी पर काम करना होगा.
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