Ukraine: वॉर के दौरान यूक्रेन में तेजी से बढ़ा कॉफी कल्चर, आखिर क्या है इसकी वजह
यूक्रेन में युद्ध के दौरान भी तेजी से कॉफी कल्चर बढ़ा है. आज हम आपको बताएंगे कि युद्ध के दौरान सैनिकों से लेकर स्थानीय लोगों की तरफ से क्यों कॉफी की डिमांड इतना तेजी से बढ़ी है.
रूस-यूक्रेन युद्ध को दो साल से ज्यादा का समय हो चुका है. एक छोटी सी सेना होने के बावजूद यूक्रेन एक बड़ी सैन्य ताकत के सामने टिका हुआ है. लेकिन आज हम आपको युद्ध के बारे में नहीं बल्कि यूक्रेन में तेजी से बढ़ रहे कॉफी कल्चर के बारे में बताने वाले हैं. आखिर क्या वजह है यूक्रेन में वॉर के दौरान तेजी से कॉफी कल्चर बढ़ रहा है.
यूक्रेन में कॉफी कल्चर
यूक्रेन के एक कॉफी हाउस के मालिक आर्टेम व्राडी ने बताया कि जब दो साल से अधिक समय पहले रूसी टैंक पहली बार यूक्रेन में दाखिल हुआ था, तो उनको यकीन था कि उनके व्यवसाय को नुकसान होना तय है. आर्टेम ने कहा कि इस स्थिति में कॉफ़ी के बारे में कौन सोचेगा. लेकिन आक्रमण शुरू होने के अगले कुछ दिनों में उन्हें यूक्रेनी सैनिकों से संदेश मिलने लगे थे, उन्होंने उनसे ग्राउंड कॉफी के बैग मांगा था. क्योंकि वह सेना द्वारा मिले ऊर्जा पेय को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे.
वॉर हो या ना हो, यूक्रेन कॉफी पीना नहीं छोड़ेगा
कॉफी हाउस के मालिक व्राडी ने हाल ही में अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि एक 40 फुट ऊंची ईंट की इमारत कॉफी पीसने की आवाज़ से गूंज रही थी और ताज़ी पिसी हुई फलियों का महक चारों तरफ फैला हुआ था. क्योंकि युद्ध के बावजूद लोग अभी भी कॉफ़ी के बारे में सोच रहे थे. लोगों का कहना था कि वे अपना घर अपनी आदतें छोड़ सकते थे, लेकिन वे कॉफ़ी के बिना नहीं रह सकते थे. बता दें कि पिछले दशक में यूक्रेन भर में बड़े और छोटे शहरों में कॉफी की दुकानें तेजी से बढ़ी हैं. जानकारी के मुताबिक खासकर राजधानी कीव में बहुत ज्यादा दुकानें खुली हैं.
इसके अलावा 18 वर्षीय बरिस्ता मारिया येवस्ताफीवा ने कहा कि सब कुछ ठीक हो जाएगा. हालांकि उनकी दुकान एक मिसाइल हमले से क्षतिग्रस्त हो गई थी. दुकान को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था, लेकिन विस्फोट से दुकान की खिड़की का शीशा टूट गया था और काउंटर पर गिर गया था.
यूक्रेन के लोगों की पहली पसंद कॉफी
यूक्रेन के लोग दशकों से कॉफी पसंद करते हैं. वहां के लोगों के लिए पेय पदार्थ में कॉफी पहली पसंद होती है, यही कारण है कि युद्ध की स्थिति में भी वहां के स्थानीय लोग और सैनिकों ने कॉफी पीना नहीं छोड़ा है.
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