कितनी होती है एक कलेक्टर की पावर? जिनकी हां के बिना कोई नहीं कर सकता ये काम
Collector Power In District: एक शहर में कलेक्टर सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होती है, जिसके पास कानून-व्यवस्था को लेकर कई खास पावर होती है और उसके सामने कई हस्तियां भी कमजोर हैं.
कहा जाता है कि अगर किसी जिले में सबसे पावरफुल शख्स कोई है तो वो है उस जिले का कलेक्टर. कलेक्टर के पास कई तरह की जिम्मेदारी होने के साथ ही काफी पावर होते हैं, जिनके जरिए वो अपनी सभी जिम्मेदारी को पूरा करता है. इन कर्तव्यों को पूरा करने के लिए कलेक्टर कई ऑर्डर देता है, कई परमिशन देता है. तो जानते हैं कि आखिर कलेक्टर के पास क्या-क्या पावर होती है और एक कलेक्टर का जिले में क्या काम होता है...
आपको कलेक्टर काम के बारे में बताते हैं कि वो किस-किस सेक्टर में किस स्तर के काम में डील करते हैं. इससे आप समझ पाएंगे कि एक कलेक्टर की कितनी पावर होती है. वैसे तो एक जिले में होने वाले सभी कामों पर कलेक्टर की नजर होता है और कलेक्टर की निगरानी में जिले के सभी इवेंट आदि के काम किए जाते हैं.
प्रशासन के काम: कलेक्टर का अहम काम होता है कि वो जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने का काम करता है और इसके लिए उठाए गए कदम कलेक्टर की परमिशन पर होते हैं. इसके अलावा जिले में लैंड रेवेन्यु का उच्च अधिकारी भी कलेक्टर होता है, जो रेवेन्यु से जुड़े सभी फैसले लेता है. साथ ही कलेक्टर के पास फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट जितने अधिकार होते हैं.
विकास कार्य में भूमिका: कलेक्टर जिले में होने वाले विकास प्लान को भी निर्देशित करता है. जब भी कोई विकास कार्य होते हैं या फिर कोई स्कीम आती है तो कलेक्टर उस पर अहम परमिशन देने का काम करता है.
लोक सुरक्षा की जिम्मेदारी: कानून, ऑर्डर, पब्लिक सिक्योरिटी का ध्यान कलेक्टर की ओर से रखा जाता है. कलेक्टर ही जिले में शांति बनाए रखने का काम करते हैं और अगर जरुरत पड़े तो कर्फ्यू आदि का फैसला भी कलेक्टर की ओर से लिया जाता है.
रेवेन्यु से जुड़ा काम: कलेक्टर रेवेन्यु एडमिनिस्ट्रेशन का हेड होता है और उनकी जिम्मेदारी लैंड रेवेन्यु और सरकारी बकाया वसूलने का कान होता है. इसके अलावा रेवेन्यु से जुड़े बड़े डिसिजन भी कलेक्टर की ओर से लिए जाते हैं.
डिस्ट्रिक्ट प्लानिंग: कलेक्टर की ओर से ही डिस्ट्रिक्ट प्लानिंग की जाती है, क्योंकि वो डिस्ट्रिक्ट प्लानिंग काउंसिल का हेड होता है और 5 साल के लिए प्लान बनाता है.
डिजास्टर मैनेजमेंट- जब भी जिले में कोई बाढ़, भूकंप जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो उस स्थिति में कलेक्टर ही सभी राहत कार्य के लिए जिम्मेदार होता है. वो डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट कमेटी का चैयरमैन भी होता है और वो सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति तक राहत पहुंच सके.
प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी: जब भी जिले में सवैंधानिक पद पर बैठे उच्च हस्ती का दौरा होता है तो उसकी सिक्योरिटी और प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी कलेक्टर की होती है. अगर किसी नेता की रैली होती है तो वो भी कलेक्टर की परमिशन के बाद करवाई जाती है, जिसमें उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है. इसके साथ ही शहर में होने वाले बड़े इवेंट में परमिशन से लेकर उसकी जिम्मेदारी का काम कलेक्टर का होता है.
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