ब्लूबेरी का नाम सुनकर और देखकर लगता है कि ये नीले रंग का होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्लूबेरी का रंग नीला नहीं होता है. जानिए असल में ब्लूबेरी का रंग क्या होता है और क्यों इसे ब्लूबेरी कहते हैं.
ब्लूबेरी
ब्लूबेरी पर असल में नीला रंग नहीं होता है. ब्लू बेरी के छिलके पर वास्तव में नीला रंग नहीं होता है. जबकि इस पर प्राकृतिक मोम की कोटिंग होती है. ये कोटिंग जब जमा हो जाती है तो ये कुछ-कुछ जामुनी नीला दिखाई देता है.
रिसर्च में क्या निकला ?
साइंस एडवांसेज जर्नल में पब्लिश एक अध्ययन के मुताबिक नीला रंग प्रकृति में बहुत दुर्लभ है. इतना ही नहीं 10 में से एक से भी कम पौधे में यह पाया जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह दुर्लभ इसलिए भी है क्योंकि प्रकृति में कोई रियल नीला रंगद्रव्य होता ही नहीं है. जानकारी के मुताबिक ब्लूबेल्स जैसे कुछ फूल आपको तब नीले नजर आते हैं, जब प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रंगों को एक खास तरीके से विभिन्न रंगों में मिला दिया जाता है. बता दें कि एंथोसायनिन नामक लाल रंगद्रव्य प्रकृति में सबसे आम है. बता दें कि अगर इसकी अम्लता में परिवर्तन करते हैं तो इसका रंग बदल जाता है. वहीं प्रकाश की किरणों की वजह से भी ये नीले रंग का दिखता है.
प्राकृतिक मोम
पौधों का नीला रंग मधुमक्खियों जैसे छोटे कीड़ों को आकर्षित करने में मदद करता है. वहीं ब्लूबेरी का नीला रंग उसके छिलके पर मौजूद प्राकृतिक मोम की पतली परत की वजह से आता है. यह मोम कई तरह का काम करता है. यह ब्लूबेरी को साफ रखने में मदद करता है, ताकि गंदगी अंदर की तरफ ना जाए.
मोम का रंग
ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञानी रॉक्स मिडलटन ने पॉपसाइंस को बताया कि हमने महसूस किया है कि प्रकृति में बहुत सारे रंग हैं. लेकिन कुछ ऐसे ट्रिक्स भी हैं, जिनसे प्रकृति बिना रंगों के नीला रंग बनाती है. उन्होंने कहा कि जब हमने ब्लूबेरी के मोम की जांच की तो पाया कि उसके चारों ओर मोम की परत छोटी संरचनाओं से बनी होती है. यह नीले और पराबैंगनी (यूवी) प्रकाश को बिखेरने का काम करती है. उन्होंने कहा कि सूर्य इन रगों को अवशोषित कर लेती है और सिर्फ नीला रंग हमें नजर आता है.
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