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कभी सोचा है सेब हमें लाल ही क्यों दिखता है? दिलचस्प है रंगों के दिखने का ये विज्ञान
Happy Holi: किसी भी वस्तु का रंगीन दिखना सिर्फ प्रकाश से उपजा हुआ एक भ्रम है. वास्तव, में वस्तुओं का रंग एक खास बात पर आधारित होता है.
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Interesting Facts About Colours: होली रंगों का त्योहार है. इस त्योहार पर तरह-तरह के रंगों में रंगे लोग पूरे हर्षोल्लास से त्योहार मनाते हैं. हालांकि, होली से अलग भी यह दुनिया बेहद रंगीन है. रंगों से भरी इस दुनिया की सबसे खास बात यह है कि ये दुनिया बेरंग है. जी हां, सुनने में मजाक लग रहा होगा, लेकिन हकीकत यही है कि यहां किसी भी वस्तु का अपना कोई रंग नहीं होता है. कैसे...? आइए बताते हैं.
किसी भी वस्तु का रंग कैसे निर्धारित होता है?
किसी भी वस्तु का रंगीन दिखना सिर्फ प्रकाश से उपजा हुआ एक भ्रम है. उदाहरण के लिए एक लाल सेब को देखिए... यह लाल इसलिए दिखता है, क्योंकि इसपर पड़ने वाले प्रकाश में से लाल के अलावा बाकी सभी रंगों को इसने अवशोषित यानी अब्जॉर्ब कर लिया है.
इसी तरह कोई वस्तु सफेद इसलिए दिखती है, क्योंकि सफेद किसी भी रंग को अब्जॉर्ब नहीं कर पाता है. इसलिए इसपर पड़ने वाले श्वेत प्रकाश का कोई भी रंग अवशोषित नहीं होता है तो वह श्वेत ही दिखता है. वहीं, जो वस्तु सारे रंगों को अब्जॉर्ब कर लेती है, वो काले रंग की दिखाई देती है.
उदाहरण के लिए ऐसे समझें
इसे समझने के लिए आप अपनी दोनों आंखें बंद करिए और कुछ सेकेंड बाद इन्हें खोलिए. बंद करने पर आंखों के सामने बिल्कुल अंधेरा छा गया होगा. लेकिन आंख खोलते ही सपा से आपको सारे रंग दिखने लगेंगे. इससे यह साफ हो जाता है कि प्रकाश होने पर ही रंग दिखते हैं.
ऐसा क्यों होता है?
जिस तरह एक चुंबक लोहे को इसलिए खींचती है, क्योंकि उसमें से खास तरह की तरंगें निकलती हैं. जिन्हे चुंबकीय तरंगे कहते हैं. इसी प्रकार से हर पदार्थ से कुछ न कुछ तरंगें निकलती हैं. ये तरंगे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव कहलाती हैं. प्रकाश भी एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव ही होता है, जिसे हम देख सकते हैं. इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव का सबसे बड़ा स्त्रोत सूर्य है. सूर्य के सफेद प्रकाश में सात प्रमुख रंग होते हैं. इनमें बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल रंग होते हैं. इसके अलावा बाकी सभी तरह के रंग इन्हीं रंगों की शेड्स होते हैं.
पिगमेंट से तय होता है वस्तु का रंग
प्रकाश का किसी वस्तु से टकराने के बाद रंग का रिफ्लेक्शन या अब्जॉर्बशन उस वस्तु में मौजूद पिगमेंटस की वजह से होता है. पिगमेंट यानी किसी वस्तु में मौजूद वो पदार्थ जो उस वस्तु का रंग तय करते हैं. अगर सेब के उदाहरण से समझें तो सेब प्रकाश के सात में से सिर्फ छह रंगों को ही अब्जॉर्ब करता है और लाल रंग को रिफ्लेक्ट कर देता है. लाल सेब में एंथोसायनिन' नाम का पिगमेंट होता है, जो बाकी रंगों को अब्जॉर्ब कर लाल को रिफ्लेक्ट कर देता है.
ऐसा ही किसी दूसरे वस्तु के साथ भी होता है. इंसानों में भी मेलानिन' नाम का एक पिगमेंट होता है, जिससे उनके बॉडी का रंग गोटा या काला दिखता है.
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