क्या सच में बड़े-बड़े जानवर अब सिकुड़ने लगे हैं...जानिए क्या कहता है विज्ञान
जर्नल साइंस में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, 60 साल के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद ये नतीजे निकले हैं कि कुछ जीवों के आकार में पहले के मुकाबले बदलाव देखा गया है.
धरती पर एक समय में इतने बड़े-बड़े जानवर थे कि इंसान उनके सामने चींटी की तरह नजर आते थे. आज भी कुछ जानवर ऐसे हैं जो इंसानों के मुकाबले काफी बड़े हैं. हालांकि, अब एक नई रिसर्च आई है जिसका कहना है कि जानवरों और पक्षियों के आकार में तब्दिली आ रही है. साफ भाषा में कहें तो ये पहले के मुकाबले सिकुड़ रहे हैं यानी छोटे हो रहे हैं. चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और इसकी वजह से जानवरों के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
क्या कहता है रिसर्च
जर्नल साइंस में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, 60 साल के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद ये नतीजे निकले हैं कि कुछ जीवों के आकार में पहले के मुकाबले बदलाव देखा गया है. ऐसा ही कुछ कम्युनिकेशन्स बायॉलजी पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में भी कहा गया है.
वहीं, यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में ईकोसिस्टम मॉडलर शोवनलाल रॉय कहते हैं कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम जहां रहते हैं, वहां के मौसम और वातावरण के हिसाब अपने आप को ढालने का प्रयास करते हैं. इसी के आधार पर जानवरों का आकार घटता और बढ़ता है. यह रिसर्च एक तरह से कोप्स नियम को चुनौती देने वाला था.
क्या है कोप्स नियम
कोप्स नियम कहता है कि कई पशु समूहों में ये प्रवृत्ति होती है कि वह हजारों लाखों वर्षों बाद अपने आकार में बड़े हो सकते हैं. दरअसल, 19वीं सदी के जीवाश्मविज्ञानी एडवर्ज कोप ने पहली बार ये देखा था कि जिस घोड़े के प्रारंभिक पूर्वज कुत्ते के आकार वाले छोटे पशु थे, धीरे-धीरे वो समय के साथ आकार में बढ़ते गए.
हालांकि, कम्युनिकेशन्स बायॉलजी पत्रिका में जो रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित हुई है उसके मुताबिक, जीवों के आकार सिर्फ बढ़ते नहीं हैं बल्कि घटते भी हैं. उदाहरण के तौर पर उन्होंने डायनासोर को लिया. शोधकर्ताओं ने कहा कि आज कई जीव ऐसे हैं जो डायनासोर वाले युग में बड़े थे लेकिन अभी उसके मुकाबले काफी छोटे हैं.
ये भी पढ़ें: फिर चर्चा में आया सिंघु बॉर्डर, क्या है इसके नाम की कहानी, जो कुछ दिन बन गया था 'मिनी पंजाब'