बीयर बनाने की प्रक्रिया, अनाज को सड़ाने की प्रक्रिया से शुरू होती है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में "मैल्टिंग" और "फर्मेंटेशन" कहा जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान अनाज से शुगर निकाला जाता है, जिसे यीस्ट द्वारा शराब और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल दिया जाता है. चलिए आज इस आर्टिकल में जानते हैं कि बीयर बनाने के लिए अनाज को कितने दिन तक सड़ाने की जरूरत होती है.
बीयर बनाई कैसे जाती है
बीयर बनाने के लिए सबसे पहले जौ यानी बार्ली, को चुना जाता है. इसके बाद जौ को पानी में भिगोया जाता है, जिससे यह कुछ दिनों में अंकुरित होने लगता है. इसी प्रक्रिया को "मैल्टिंग" कहते हैं. जब जौ अंकुरित हो जाता है, तो उसमें मौजूद स्टार्च सुगर में बदलने लगता है, बाद में इसी को यीस्ट द्वारा शराब में बदल दिया जाता है. आपको बता दें, मैल्टिंग की यह प्रक्रिया लगभग 5-7 दिनों तक चलती है.
मैल्टिंग के बाद फर्मेंटेशन होता है
मैल्टिंग के बाद फिर फर्मेंटेशन का प्रक्रिया होती है. दरअसल, जब जौ पूरी तरह से अंकुरित हो जाता है, तो उसे सुखाया जाता है और फिर पीसा जाता है. इस पिसे हुए माल्ट को पानी में मिलाकर गर्म किया जाता है. ऐसा करने पर इसमें मौजूद शुगर घुल जाती है.
इसके बाद इस मिश्रण को ठंडा किया जाता है और फिर इसमें यीस्ट मिलाया जाता है. यही वह चरण होता है जिसे आप आसान भाषा में "फर्मेंटेशन" के नाम से जानते हैं. फर्मेंटेशन की प्रक्रिया लगभग 7 से 10 दिनों तक चलती है. हालांकि कई मामलों में ये 2 हफ्ते तक भी चल सकती है. आपको बता दें, फर्मेंटेशन में लगने वाला समय और तापमान बीयर के स्वाद और प्रकार को भी प्रभावित करता है.
अब "लैगरिंग" की प्रक्रिया को समझिए
फर्मेंटेशन के बाद, बीयर को कुछ और समय के लिए रखा जाता है, ताकि उसका स्वाद और भी अच्छा हो सके. इस प्रक्रिया को साइंस की भाषा में "लैगरिंग" कहा जाता है. ये प्रक्रिया कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक चल सकती है. कई बार लैगरिंग का टाइम, बीयर के प्रकार पर भी निर्भर करता है. वहीं कुछ स्पेशल बीयर जिन्हें 'लैगर' कहा जाता है, उनके स्वाद को बेहतर होने में कई महीने लग सकते हैं. अगर लैगरिंग के लिए टाइम नहीं दिया जाए तो बीयर का स्वाद कुछ ज्यादा ही कड़वा हो सकता है.
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