Face Mask: 100 साल से भी ज्यादा पुराना है Face Mask का इतिहास... जानिए किसने और क्यों बनाया था
Face Mask: एक जानलेवा महामारी पर काबू पाने के लिए करीब 110 साल पहले तैयार किया था. हैरानी वाली बात यह है कि फेस मास्क उसी देश में बना था, जिस देश से कोरोना महामारी फैली.
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Face Mask History: साल 2019 में जब कोरोना आया तो बचाव के लिए बरती जाने वाली सावधानियों में फेस मास्क पहनना भी शामिल था. लोगों में फेस मास्क का इस्तेमाल अचानक से बढ़ गया और सरकारों की ओर से भी इसे लगाना अनिवार्य कर दिया गया. कोरोना महामारी (Coronavirus) से दुनियाभर के 200 से ज्यादा देश प्रभावित हुए हैं. भारत समेत कई देशों में लगातार टीकाकरण चल रहा है, लेकिन वैक्सीन लगवाने के बाद भी फेस मास्क पहनना जरूरी बताया जाता है. क्या आप जानते हैं कि कोरोना से बचने के लिए आज आप जिस Face Mask का इस्तेमाल कर रहे हैं उसे बनाया किसने था? आइए आज हम आपको बताते हैं कि फेस मास्क का आविष्कार किसने, क्यों और कब किया था...
चीन में हुआ था मास्क का आविष्कार
104 साल पहले दुनिया में फैली स्पेनिश फ्लू (Spanish Flu) महामारी से बचाव के लिए भी फेस मास्क इस्तेमाल किया गया था. शायद आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि मास्क का आविष्कार इससे भी पहले हो चुका था. हैरानी वाली बात यह है कि फेस मास्क उसी देश में इजाद हुआ जिस देश से कोरोना महामारी फैली.
मलेशिया में जन्म, ब्रिटेन में पढ़ाई और चीन में काम किया
फेस मास्क को एक वैज्ञानिक ने एक जानलेवा महामारी पर काबू पाने के लिए करीब 110 साल पहले तैयार किया था. फेस मास्क को वू लीन-तेह नाम के वैज्ञानिक ने बनाया था. 10 मार्च 1879 को मलेशिया के पेनांग में वू का जन्म हुआ था. मलेशिया में जन्मे और यूके में पढ़ाई पूरी करने वाले वू ने चीन को अपनी कर्मभूमि बनाया. वू लीन-तेह महामारी विशेषज्ञ के तौर पर काम करने चीन गए.
1910 में फैला ब्यूबोनिक प्लेग (Bubonik Plague)
दरअसल, उत्तर पूर्व चीन में दिसंबर 1910 में ब्यूबोनिक प्लेग (Bubonik Plague) नाम की एक घातक महामारी फैल गई थी. इससे पहले पहाड़ी चूहों के शिकारी और फिर व्यापारी संक्रमित हो गए. वैज्ञानिक वू लीन-तेह ने यह पता लगाने के लिए कि महामारी किस बैक्टीरिया से फैली है, सबसे पहला पोस्टमार्टम किया था.
जिसमें वू लीन-तेह ने पाया कि यह महामारी सांस के ड्रॉपलेट्स के जरिये फैल सकती है. तब वू ने खुद ही कॉटन और कपड़े की लेयर्स को जोड़कर अपने लिए फेस मास्क डिजाइन किया और बाकी डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी समेत अन्य लोगों को भी इसे पहनने को प्रेरित किया ताकि वो लोग महामारी की चपेट में न आ सके.
लोगों ने मानी वू की बात
उस समय फेस मास्क जैसी चीज पर लोगों ने विश्वास नहीं किया और वू लीन-तेह की बात मानने से इनकार कर दिया था. बाद में मास्क पहनने से इनकार करने वाले एक फ्रेंच स्टाफ की मौत हो गई, जिसके बाद स्वास्थ्यकर्मियों ने खुद ही मास्क पहनना शुरू कर दिया.
अब एक बार फिर से कोरोना का संक्रमण तेज हो गया है और लोगों को कोविड गाइडलाइंस का पालन करने के लिए कहा जा रहा है. वैज्ञानिक और डॉक्टर वैक्सीन के बाद भी मास्क का इस्तेमाल करने को कह रहे हैं.
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