कैसा है राष्ट्रपति भवन का प्रांगण, जहां पीएम मोदी ने ली है शपथ
Rashtrapati Bhavan: नए मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह के बाद से ही राष्ट्रपति भवन चर्चाओं में है. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि आखिर इस भवन की खासियत क्या-क्या है.
Rashtrapati Bhavan: पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद से ही राष्ट्रपति भवन काफी चर्चाओं में है. इस भवन में पीएम मोदी सहित कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार को केंद्रीय मंत्रीपद की शपथ ली. इस दौरान राष्ट्रपति भवन में बाघ दिखने पर काफी चर्चाएं हैं. राष्ट्रपति भवन का ये वीडियो काफी वायरल हो रहा है. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि आखिर राष्ट्रपति भवन में जहां पीएम मोदी और बाकि कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली है आखिर उसकी विशेषताएं क्या हैं? चलिए जान लेते हैं.
क्या है राष्ट्रपति भवन की विशेषताएं?
जहां पीएम मोदी ने शपथ ली है वो राष्ट्रपति भवन का प्रांगण है. आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, "राष्ट्रपति भवन के मुख्य द्वार एक आलीशान रास्ते पर खुलते हैं, जिसे फोरकोर्ट कहा जाता है और जो मुख्य भवन की ओर जाता है. बता दें कि टी आकार के फोरकोर्ट तक जाने वाला रास्ता पेड़ों और पानी के चैनलों से घिरा हुआ है.
परिसर के बाकी हिस्सों की तरह, जिसका निर्माण 1929 में ब्रिटिश वास्तुकारों हर्बर्ट बेकर और एडविन लुटियंस ने किया था, भवन के अग्रभाग में भी लाल और क्रीम रंग के बलुआ पत्थर लगे हैं.
क्या है इतिहास?
1911 में ब्रिटिश राजधानी के कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित होने के बाद राष्ट्रपति भवन और आसपास के क्षेत्र में संसद जैसी दूसरी प्रमुख संरचनाओं का निर्माण किया गया था. इसकी वास्तुकला की प्रेरणा दिल्ली के पूर्ववर्ती शासकों, जैसे मुगलों और राजपूतों से मिली थी.
बता दें राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में 31 सीढ़ियां हैं जो एक मंच तक जाती हैं. इसमें बारह टस्कन स्तंभ हैं जो ग्रीक वास्तुकला की विशेषताओं से मेल खाते हैं. भारत सरकार द्वारा प्रकाशित पुस्तक द आर्ट्स एंड इंटीरियर्स ऑफ राष्ट्रपति भवन: लुटियंस एंड बियॉन्ड (2016) में लिखा गया है कि सीढ़ियां भव्य दरबार हॉल तक जाती हैं जो मुख्य गुंबद के ठीक नीचे स्थित है.
ये है विशेषताएं
राष्ट्रपति का आसन केंद्रीय अक्ष के अंत में स्थित है जो सीधे रामपुरवा बैल, जयपुर स्तंभ की दिशा में दिखता है और राजपथ पर इंडिया गेट नजर आता है.
रामपुरवा बैल तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बलुआ पत्थर से बना अशोक स्तंभ है जिसे राष्ट्रपति भवन में रखा गया है. ये स्तंभ प्रांगण से दिखाई देता है और बिहार के रामपुरवा में खोजा गया था. राष्ट्रपति भवन की पुस्तक के अनुसार, इसे चट्टान के एक टुकड़े से तराश कर बनाया गया था. जयपुर स्तंभ 145 फीट ऊंचा और मुख्य द्वार से लगभग 555 फीट की दूरी पर प्रांगण में स्थित है. जयपुर के राजा सवाई माधो सिंह ने 1911 में राजधानी के स्थानांतरण के साथ किंग जॉर्ज पंचम को ताज के प्रति अपनी निष्ठा की प्रतिज्ञा करने के लिए विशाल सफेद स्तंभ बनवाया था.
ये भी है खास
जयपुर स्तंभ के साथ-साथ राष्ट्रपति भवन में छह तोपें और गाड़ियां 1973 से पहले प्रांगण में थीं. इन्हें 1911-12 के दिल्ली दरबार के दौरान शाही शिविर की सजावट के उद्देश्य से इलाहाबाद शस्त्रागार से प्राप्त किया गया था, जिसमें ये पाया गया कि तोपों पर मुकुट उकेरे गए थे और इसलिए उन्हें हटाया नहीं जा सका था.
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