Crocodile Babies Gender Change: क्या तापमान की वजह से बदल जाता है मगरमच्छ के बच्चों का जेंडर, जानें इसके पीछे का विज्ञान
दुनिया में लाखों प्रजाति के जानवर मौजूद हैं. सभी जानवरों का स्वभाव अलग-अलग होता है.लेकिन क्या आप जानते हैं कि तापमान के कारण मगरमच्छ, कछुआ और मछली के बच्चों क जेंडर बदलता है?जानिए इसके पीछे का विज्ञान
दुनिया में लाखों प्रजाती के जानवर मौजूद हैं. इन सभी जानवरों की अपनी अलग-अलग खूबी भी है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे जानवर के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बच्चों का जेंडर तापमान बदलने के साथ बदल जाता है. हां सही पढ़ा है आपने. तापमान के कारण जेंडर बदलता है. जानिए आखिर ये कैसे संभव होता है
मगरमच्छ
जानकारी के मुताबिक तापमान बदलने के साथ ही मगरमच्छ के बच्चों का जेंडर भी बदल जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक सिर्फ मगरमच्छ ही नहीं मछली और कछुओं के बच्चों का भी तापमान के कारण जेंडर बदलता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक 33 डिग्री सेल्सियस (91.4 डिग्री फारेनहाइट) पर अपने अंडों को सेने वाले अमेरिकी मगरमच्छ ज्यादातर नर बच्चे पैदा करते हैं. जबकि 30 डिग्री सेल्सियस (86 डिग्री फारेनहाइट) से नीचे के ऊष्मायन तापमान के परिणामस्वरूप ज्यादातर मादा बच्चे पैदा होते हैं.
मछली और कछुआ
मछली और कछुआ में इसका उल्टा होता है. मछली और कछुआ के अधिक तापमान पर मादा बच्चे होते हैं.ड्यूक यूनिवर्सिटी में हुए इस नये शोध के मुताबिक गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग का निर्धारण गर्म तापमान से होता है. शोध के मुताबिक गर्म तापमान में मादा श्रेणी के अंडा उत्पादन की क्षमता अधिक हो जाती है. शोधकर्ताओं के मुताबिक अत्यधिक गर्म तापमान से भ्रूण धारण करने वाली रोगाणु कोशिकाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है. वहीं रोगाणु कोशिकाएं गर्मी के चलते खुद ही मादा बनने की प्रक्रिया अपनाने लगती हैं.
क्या ये ग्लोबल वार्मिंग का असर
आज की स्थिति में सवाल ये उठता है कि जैसे-जैसे धरती गर्म होती जा रही है क्या ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ रहा है. आखिर उसका मगरमच्छ और कछुआ जैसी प्रजातियों के प्रजनन पर असर होगा? वैज्ञानिक के मुताबिक रोशनी की गर्मी से अंडे के अंदर के भ्रूण विकसित होते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रयोग के दौरान उन्होंने कुछ अंडों को 33.5 डिग्री तापमान पर रखा था, जो मादाओं के लिए जरूरी तापमान से केवल ढाई डिग्री अधिक था. तब उन्होंने कुछ विचित्र किस्म के भ्रूणों का निर्माण होते देखा था. वह साइक्लोप्स और दो सिर वाले भ्रूण थे. वैज्ञानिकों के मुताबित यह परिणाम चौंकाने वाला था.
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