इन दिनों बॉक्स ऑफिस पर बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही है. श्रद्धा कपूर की इस फिल्म को टॉप 5 में एंट्री करने वाली पहली महिला प्रधान फिल्म बताया जा रहा है. इस फिल्म ने पहले हफ्ते में ही 300 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है. इस फिल्म को देख तो कई लोगों ने लिया है लेकिन क्या आप जानते हैं कि आम भाषा में उपयोग किया जाने वाला शब्द ‘स्त्री’ का असल मतलब क्या होता है? चलिए जानते हैं.
क्या होता है स्त्री का मतलब?
ये हम सभी को पता है कि स्त्री को ही नारी, महिला, वनिता, वामा, के रूप में देखा और माना जाता है. वेद-पुराण से लेकर हर धर्म ग्रंथ में स्त्री ने अपनी अलग जगह बनाई है. कुरान में भी स्त्री को बराबर का सम्मान दिया गया है. वहीं स्त्री शब्द के अर्थ की बात करें तो इस शब्द का मतलब युवा महिला या फिर लड़की होता है.
कहां से आया स्त्री शब्द?
अन्य भाषाओं में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ है, जिनका अर्थ स्त्री है. स्त्री शब्द असल में संस्कृत की स्त्यै धातु से बना हुआ है. ये एक समूह के बारे में बताने वाला शब्द है, जिसका मतलब है ढेर, संचय, स्थूल और घनीभूत. इसके और भी भावार्थ देखने को मिलते हैं, जैसे- मृदुल, कोमल और स्निग्ध. संस्कृत में किसी भी जीव के पूरक पात्र के रूप में मादा का उल्लेख है और मादा के लिए स्त्री शब्द का इस्तेमाल होता आया है. चूंकि किसी भी जीव की पूर्ति यानी सृष्टि या सृजन का गुण मादा के पास है, यही वजह है कि उसे मातृशक्ति और स्त्री कहा गया है.
व्याकरण में किस तरह परिभाषित किया गया?
वैयाकरण यानी व्याकरण की रचना करने वालों ने स्त्री शब्द को अपने-अपने हिसाब से परिभाषा दी है. जिस स्त्यै धातु से इसकी उत्पत्ति संस्कृत में मानी जाती है, उसे यास्क ने अपने निरुक्त में बताया है. लेकिन यास्क ने निरुक्त में स्त्यै धातु से इसकी उत्पत्ति बताई तो इसका अर्थ लज्जा से सिकुड़ना लगाया गया. यास्क की इस व्युत्पत्ति के बारे में दुर्गाचार्य ने लज्जार्थस्य लज्जन्तेपि हि ता: बताया था, जिसका मतलब है कि लज्जा से अभिभूत होने के कारण औरत का पर्यायवाची स्त्री भी है. इस तरह स्त्री शब्द को अलग-अलग परिभाषा भी मिलती रही है.
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