शादी एक अटूट बंधन है. यह एक ऐसा पवित्र रिश्ता है जो सारा जीवन आपके साथ रहता है. आज यानी 21 फरवरी को गोवा में जकी भगनानी और रकुल प्रीत सिंह भी शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं. बता दें कि भारत में अलग-अलग धर्मों, समाज और राज्य के हिसाब शादियों की रीति रिवाज भी अलग-अलग होते हैं. आज हम आपको गोवा में होने वाली शादियों के बारे में बताने वाले हैं. बाकी जगहों की तरह गोवा के रीति-रिवाज भी अलग होते हैं. जानिए वहां शादियों में क्या रस्में होती हैं. 


चूड़ा सेरमनी 


शादी की शुरूआत चूड़ा सेरमनी से होती है. इस सेरमनी को शादी की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है, जिसमें चूड़ी दुल्हन के घर जाती है और दुल्हन पक्ष और उनके कुछ दोस्तों द्वारा उसका स्वागत किया जाता है. चूड़ियों का रंग अलग-अलग हो सकता है, लेकिन आमतौर पर लाल, हरा, सफेद और पीला होता है. फिर इन चूड़ियों को भगवान और परिवार के बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने के लिए वेदी के सामने रखा जाता है. इस दौरान स्थानीय लोक गीत मौज-मस्ती में गाए जाते हैं.


भिखरिया जेवोन 


इस परंपरा में गरीब और वंचित लोगों को भोजन कराया जाता है. भिखरी शब्द का अर्थ 'गरीब व्यक्ति' और जेवोन शब्द का अर्थ 'भोजन' होता है. इस प्रथा के मुताबिक शादी की पार्टी दुल्हा दुल्हन के जोड़े के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की आशा में दान के एक कार्य के रूप में किया जाता है. 


डे नेम


'डे-नेम' के रूप में उच्चारित ये रस्म  उन चीजों से है, जो दुल्हन अपने नए घर में लेकर जाती है. इस समारोह में दुल्हन का परिवार उन सभी चीजों को प्रदर्शित करता है, जो दुल्हन अपने पति के घर लेकर जाएगी. इसमें घरेलू सामान, आभूषण सब कुछ शामिल होता है. इसमें लड़की के घर वाले शिशु यीशु की एक छोटी मूर्ति भी भेजते हैं. 


रोसे  समारोह


कोंकणी भाषा में रोसे शब्द का अनुवाद 'रस' होता है. ये कार्यक्रम शादी के दिन या शादी के दिन से एक या दो दिन पहले आयोजित किया जाता है. ये कार्यक्रम दुल्हन और उसकी सहेलियों के लिए अलग से आयोजित किया जाता है. वहीं दूल्हे और उसके दोस्त रिश्तेदारों के लिए उनके घरों में सबकी उपस्थिति में आयोजित किया जाता है. हिंदू रीति रिवाज में जैसे हल्दी होता है, वैसे कैथोलिक शादियों में ताजा निकाले गए नारियल के दूध से लड़का और लड़की को भिगोया जाता है. इस दौरान लड़के के दोस्त अंडे से एक दूसरे को मारकर खेलते भी हैं. इसके साथ कोंकणी गायकों के एक पारंपरिक संगीत समूह द्वारा गाना भी गाया जाता है. 


शादी


इसके बाद बड़े दिन की शुरुआत शादी से होती है, जो आम तौर उस चर्च में आयोजित किया जाता है, जहां दूल्हे का पैतृक गांव/शहर होता है. सबकी उपस्थिति में विवाह रजिस्टर पर हस्ताक्षर करके सील कर दिया जाता है, जिसके बाद जोड़े को आधिकारिक तौर पर पति और पत्नी घोषित किया जाता है.


सद्दो 


सद्दो एक लाल पोशाक होता है, जो दूल्हे के परिवार द्वारा दुल्हन को दिया जाता है. विवाह समारोह समाप्त होने के बाद सद्दो को  पहली बार देखा जाता है और नवविवाहित जोड़ा दूल्हे के घर जाता है. इसके बाद घर के लोग दुल्हन को सोने की चेन समेत अन्य कीमती उपहार भी देते हैं. 


 शादी का रिसेप्शन


दी का रिसेप्शन आमतौर पर कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण होता है. भव्य सजावट, लाइव संगीत, स्वादिष्ट भोजन, शानदार कंपनी और पूरी रात दुल्हा-दुल्हन के परिवार और दोस्त इसको इंजाय करते हैं. 


पोर्टोनेम


पोर्टोनेम का अर्थ 'वापसी' होता है. यह प्रथा शादी के अगले दिन होती है जब नवविवाहित जोड़े दुल्हन के घर लौटते हैं और वहीं रात बिताते हैं. इसके बार सभी मेहमान धीरे-धीरे जाने लगते हैं.  


 


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