दुनियाभर में अक्सर एलियन के होने का दावा किया जाता है. इतना ही नहीं कई वैज्ञानिक एलियन की वास्तविकता को लेकर रिसर्च कर रहे हैं. अब शोधकर्ताओं ने प्रशांत महासागर की गहराई में ऑक्सीजन खोजा है. शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने इस ऑक्सीजन को डॉर्क ऑक्सीजन कहा है और उनका मानना है कि इस ऑक्सीजन का कनेक्शन एलियन से है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर प्रशांत महासागर में ऑक्सीजन मिलने को एलियन से जोड़कर क्यों देखा जा रहा है. 


प्रशांत महासागर में डॉर्क ऑक्सीजन


बता दें कि स्कॉटिश एसोसिएशन फॉर मैरीन साइंस के एंड्रयू स्वीटमैन और बोस्टन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने अपने रिसर्च में क्लेरियन-क्लिपर्टन जोन (सीसीजेड) पर फोकस किया था. ये जगह हवाई और मैक्सिको के बीच 1.7 मिलियन वर्ग मील में फैला हुआ क्षेत्र है. इस रिसर्च ने उन सभी रिसर्च और धारणाओँ को चुनौती दिया गया, जिसमें कहा जाता है कि समुद्र के जैसे-जैसे नीचे जाते हैं, वहां ऑक्सीजन का लेवल कम होता चला जाता है. 


कैसे बन रहा ऑक्सीजन


जानकारी के मुताबिक 12,000 फीट से अधिक गहराई पर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती है. लेकिन रिसर्च टीम ने पाया कि पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स यानी दुर्लभ धातुओं से भरपूर चट्टान जैसी संरचनाएं समुद्र की गहराई में इलेक्ट्रोलिसिस जैसी प्रक्रिया के माध्यम से ऑक्सीजन का उत्पादन कर रही हैं. हालांकि रिसर्च के शुरुआत में बोस्टन विश्वविद्यालय में जीव विज्ञान के प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक जेफरी मार्लो ने संदेह जताया था कि ऑक्सीजन उत्पादन के लिए सूक्ष्मजीवीय गतिविधि जिम्मेदार है. 


लेकिन रिसर्च में पता चला है कि पिंडों में घनीभूत धातुएं बैटरी के समान विद्युत आवेशों का पृथक्करण करती हैं, जिससे पानी के अणुओं को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न होती है. वैज्ञानिकों ने इस घटना को "डार्क ऑक्सीजन" कहा है. यह खोज बृहस्पति के यूरोपा या शनि के एनसेलेडस जैसे अन्य ग्रहों और चंद्रमाओं पर इसी तरह की प्रक्रियाओं की संभावना के बारे में सवाल उठाती है. हालांकि इस "डार्क ऑक्सीजन" उत्पादन का सटीक तरीका अभी भी अस्पष्ट हैं, लेकिन यह खोज खगोल-जीव विज्ञान और गहरे समुद्र पारिस्थितिकी में अनुसंधान के लिए नए रास्ते खोलती है. इसके अलावा ये रिसर्च वैज्ञानिकों को एक रास्ता दिखा रहा है, जिससे वे गहरे समुद्र को केवल उपभोग करने की जगह उत्पादन के रूप में भी देख सकते हैं. 


एलियन को लेकर पुराने शोध


गौरतलब है कि इससे पहले भी हार्वर्ड के 2 वैज्ञानिकों का मानना था कि एलियन हमेशा से पृथ्वी पर रहे होंगे. डेली मेल की खबर के मुताबिक टीम ने शोध में लिखा था कि हमारे 80 प्रतिशत महासागरों के नक्शे नहीं हैं. उन्होंने तर्क दिया था कि धरती पर इन जगहों पर कथित एलियन के लिए रहने की बहुत जगह हैं. यह जरूरी नहीं कि ये दूसरी दुनिया से आए होंगे, उनका मानना था कि हो सकता है कि ये हमारे बीच शुरू से ही रह रहे होंगे. 


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