इस प्रिंटिंग प्रेस में छपते हैं कई देशों के नोट, जानिए कौन करता है इसकी सुरक्षा
दुनिया के अधिकांश देशों में करेंसी छापने के लिए खुद के प्रिंटिंग प्रेस मौजूद हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहले के वक्त अधिकांश देशों के नोट किस प्रिटिंग प्रेस से छपकर आते थे?
दुनिया के तमाम देशों में नोट छापने के लिए उनके खुद के प्रिटिंग प्रेस मौजूद हैं. लेकिन आज हम आपको इंग्लैंड में स्थित एक ऐसे प्रिंटिंग प्रेस के बारे में बताने वाले हैं, जहां पर दुनिया के तमाम देशों की करेंसी छपती हैं. इतना ही नहीं इस कंपनी का नाम लंदन स्टॉक एक्सचेंज में भी दर्ज है.
'दे ला रुए'
दुनिया में नोट छापने की बड़ी कंपनी 'दे ला रुए' है. बता दें कि ये एक ब्रिटिश कंपनी है. इसका हेडक्वार्टर इंग्लैंड में बेसिंगस्टोक में है. ये तमाम देशों के नोट और स्टांपपेपर के अलावा पेपर, पासपोर्ट, सिक्युरिटी प्रोडक्ट्स छापने का काम करती है. जानकारी के मुताबिक इसकी बड़ी-बड़ी फैक्टिर्यों की अलग यूनिट्स देशों के करेंसी नोट और स्टांप पेपर के अलावा, पासपोर्ट, चेकबुक, डाकटिकट और सेक्युरिटी प्रिंटिंग का काम करती हैं. बता दें कि ये सारे काम यहां पर बहुत अधिक सुरक्षा के बीच होते हैं.
कैसे हुई कंपनी की शुरुआत?
इस कंपनी की शुरुआत बहुत मामूली तरीके से हुई थी. जानकारी के मुताबिक पहले इस कंपनी के पास अपना एक छोटा छापाखाना था, जिस पर प्लेइंग कार्ड्स छापकर बेचती थी. इसके साथ ही हैट्स बनाती थी. ये कंपनी 200 साल पहले 1821 में शुरू हुई थी. उस वक्त कंपनी ने अपना काम गर्नसे से शुरू किया था. लेकिन फिर वो अपना कामकाज लंदन लेकर गए थे. बता दें कि ये कंपनी सबसे पहले हैट मेकर के तौर पर जानी जाती थी. लेकिन फिर उसने रॉयल वारंट लाइसेंस के तहत प्लेइंग कार्ड्स छापना शुरू किया था. क्योंकि उन दिनों कंपनियां ऐसे ही ताश के पत्ते नहीं छाप सकती थी. इसके लिए उन्हें बकायदा सरकार से अधिकार हासिल करने होते थे.
कैसे आगे बढ़ी कंपनी
जानकारी के मुताबिक कंपनी ने जब ताश के पत्ते छापने के लिए छापाखाना लगाया था, उस वक्त प्रिंटिंग के दूसरे विकल्प भी देखने शुरू किये थे. इसी के तहत 1855 में उसने स्टांप टिकट की प्रिंटिश शुरू की थी. हालांकि डाक टिकट उन दिनों सेक्युरिटी प्रिंटिंग से जुड़ा मामला था. इसके बाद कंपनी को लगा कि वो करेंसी प्रिंटिग के बिजनेस में उतर सकती है. क्योंकि तब बहुत कम देशों में उन्नत किस्म के प्रिंटिंग प्रेस थे. इसी कारण कंपनी को सबसे पहले 1955 में मॉरीशस औऱ फिर ईरान से करेंसी छापने का आदेश मिला था. इसके बाद तो कंपनी आगे बढ़ चुकी थी. इसके बाद दूसरे देश भी उसके पास करेंसी प्रिंटिंग से लेकर डाकटिकट प्रिंटिंग के लिए आने लगे थे. इस कंपनी के लोगो पर इसके संस्थापक थामस दे ला रुए का चित्र है. वहीं इसका हेडक्वार्टर इंग्लैंड के बेसिंगस्टोक में स्थित है. इस कंपनी के कई प्रिंटिंग यूनिट्स मौजूद हैं.
नोट छापने का काम
जानकारी के मुताबिक 2003 में ये कंपनी इंग्लैंड, इराक के नोट छापने लगी थी. वहीं इस कंपनी ने करेंसी डिजाइनिंग में बड़े सुरक्षा मानक तैयार किए थे. हालांकि डिजिटल दौर आने के बाद कंपनी के कामकाज पर भी असर पड़ा है. आज कंपनी के पास 70 देशों का काम है. जिसमें ज्यादातर छोटे अफ्रीकी देश हैं. लेकिन पहले इस कंपनी के पास कई बड़े देशों के भी काम थे. जानकारी के मुताबिक भारत में लंबे समय तक हाई सिक्युरिटी पेपर सप्लाई इसी कंपनी द्वारा होता था. लेकिन अब करेंसी पेपर भारत खुद ही बनाता है.
ये भी पढ़ें: क्या कोई आम इंसान भी लड़ सकता है लोकसभा चुनाव, जानें इसके लिए क्या हैं नियम